ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में मूत्र संबंधी रोग अधिक संख्या में पाये जाते है। इसी विषय पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में संगोष्ठी आयोजित की गयी। इस दौरान आए हुये विशेषज्ञों ने कहा कि अज्ञानता और समाज के भय से महिलायें इस तरह के रोग को छुपाती है।
यूरोलॉजी विभाग की ओर से एम्स ऋषिकेश में उत्तराखंड यूरोलॉजिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी व कार्यशाला संपन्न हुई। एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा इस कार्यशाला में आए हुए यूरोलॉजिस्ट की जिम्मेदारी इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हमारे यहां विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पर्सनल हाइजीन पर ध्यान नहीं दिया जाता। जिससे उनमें मूत्र संबंधी रोग होने की संभावना अधिक होती है।
उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में इस संगोष्ठी का आयोजन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर अधिकांश मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से ही आते हैं। विशेषज्ञों का कहना था कि हमारे देश में हर वर्ग की महिलाओं में मूत्र एवं जनन इंद्रियों से संबंधित रोग आम बात है, परंतु कई सामाजिक कारणों से महिलाएं इसके उपचार के बारे में नहीं सोचती और उसे अपना भाग्य समझ कर जीवन भर बीमारी को ङोलती हैं।
कार्यशाला में महिलाओं में पाए जाने वाले रोग जैसे पेशाब का बार-बार आना, पेशाब का लीक होना या हंसते-हंसते पेशाब आ जाना, पेशाब में कठिनाई होना, गर्भाशय का बाहर आ जाना जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा उनके उपचार एवं ऑपरेशन में उपलब्ध नई तकनीकों के बारे में भी बताया गया। इस दौरान कार्यशाला के अध्यक्ष डॉ संजय गोयल, सचिव यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल, डीन सुरेखा किशोर, उत्तराखंड यूरोलॉजिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अजीत सक्सेना, सचिव डॉ समीर त्रिवेदी आदि उपस्थित रहे।