उत्तराखंड की पहली पैनिक बटन बस माह अप्रैल से राजधानी देहरादून में चलने लगेगी। परिवहन विभाग ने बीती नौ सितंबर को देहरादून से मसूरी के बीच इलेक्ट्रिक बस का एक माह का ट्रायल सफल रहा था। इसके बाद विभाग ने 25-25 बसे गढ़वाल और कुमाऊं में चलाने का फैसला लिया था। यह बस नये साल के शुरूआत में चलने थी मगर अब यह अप्रैल 2019 से संचालित होंगी।
बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए परिवहन निगम ने प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का निर्णय लिया था। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते नौ सितंबर को देहरादून से मसूरी के बीच इलेक्ट्रिक बस को ट्रायल के लिए रवाना किया था। एक महीने का ट्रायल सफल रहा। इसी तरह हल्द्वानी से नैनीताल के बीच किया गया ट्रायल भी सफल रहा था। दिसंबर में इलेक्ट्रिक बस के लिए ट्रॉयल होना था लेकिन अभी तक टेंडर नहीं हो पाए हैं। टेंडर प्रक्रिया के बाद अप्रैल में इलेक्ट्रिक बसें चलने की संभावना है। पहले चरण में दून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल मार्ग पर 25-25 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएगी। इसके बाद इनकी संख्या में इजाफा किया जाएगा।
तीन गुनी बचत भी होगी इलेक्ट्रिक बस से
इलेक्ट्रिक बस में प्रति किलोमीटर एक यूनिट से भी कम खर्च आ रहा है। साधारण बस में जहां 18 रुपये प्रति किलोमीटर खर्च आता है। वहीं, इलेक्ट्रिक बस में महज छह रुपये प्रति किलोमीटर बिजली खर्च हो रही है। साधारण बस भले ही 25 लाख रुपये में आती हो, लेकिन उस पर आने वाला खर्च काफी है। वहीं, इसकी तुलना में इलेक्ट्रिक बस की कीमत एक करोड़ रुपये है, लेकिन इसमें कई हाईटेक सुविधाएं हैं। पर्यावरण दूषित नहीं होता है। साधारण बस में वारंटी पांच वर्ष होती है। जबकि इलेक्ट्रिक बस में यह 15 साल बताई जा रही है। इलेक्ट्रिक बस एक बार चार्ज होने के बाद बस 200 से 250 किलोमीटर का सफर तय करेगी।