इस बार मार्च माह तक हुई बर्फबारी ने गोमुख यात्रा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में यात्रा सीजन शुरू होने तक भी गोमुख ट्रैक को खोलना किसी चुनौती से कम नहीं है। हालत यह है कि अभी गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारी ट्रैक की रेकी तक नहीं कर सके हैं। जबकि बीते सालों तक मार्च के अंतिम हफ्ते में ट्रैक को दुरुस्त करने का काम शुरू हो जाता था।
गंगोत्री धाम से 18 किलोमीटर का ट्रैक कर गोमुख तक पहुंचा जाता है।
यह क्षेत्र गंगोत्री नेशनल पार्क के कोर जोन में है। लिहाजा पार्क प्रशासन पर इस ट्रैक रूट पर यात्रा को संचालित करने और ट्रैक को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी है। हर साल बड़ी संख्या में यात्री, पर्यटक और पर्वतारोही दल गोमुख पहुंचते हैं। इस बार इस ट्रैक की हालत पर नजर डालें तो मार्च माह के पहले पखवाड़े तक हुई भारी बर्फबारी ने इसे पूरी तरह बंद किया हुआ है। देरी तक हुई बर्फबारी के कारण गंगोत्री से तीन किलोमीटर दूर ट्रैक के प्रवेश द्वार कनखू बैरियर से भी आगे बढ़ना बेहद मुश्किल है। माना जा रहा है कि ट्रैक पर देवगाड, ऋषिनाला, भुजगढ़ी व कच्ची ढांग में आने वाले विशाल हिमखंडों को खोलने में इस बार काफी समय लग सकता है। इन जगहों पर हर साल भारी हिमखंड पसरे होने से कई बार इनके ऊपर से ही रास्ता तैयार किया जाता है। वहीं कई जगहों पर हिमस्खलन के कारण ट्रैक रूट के बुरी तरह ध्वस्त होने का भी अंदेशा है। ऐसे में 21 अप्रैल को गंगोत्री धाम के कपाट खुलने तक गोमुख ट्रैक के भी खुलने के आसार नहीं बन रहे हैं।
गोमुख ट्रैक को लेकर यात्रियों और पर्यटकों का उत्साह बरकरार है। इसके लिए पार्क प्रशासन के उत्तरकाशी कोटबंगला स्थित दफ्तर में रोजाना देश के विभिन्न हिस्सों से पूछताछ हो रही है। अब तक मई व जून माह के लिए चार ट्रैकिंग दलों ने अपना पंजीकरण कराया है। यात्रा सीजन शुरू होने तक यह संख्या और बढ़ जाएगी। उल्लेखनीय है कि पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए गोमुख ट्रैक पर एक दिन में 150 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है।
इस बार देर तक हुई बर्फबारी के कारण अभी ट्रैक को दुरुस्त करने के हालात नहीं बने हैं। बुधवार को कर्मचारियों की एक टीम कनखू बैरियर से आगे रवाना की जा रही है। इसकेबाद ही सही तस्वीर सामने आ सकेगी।