गंगा की भूमि पर योग करना सौभाग्य की बातः पीएम

अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मां गंगा की इस भूमि पर जहां चारधाम है, जहां आदि शंकराचार्य आए, स्वामी विवेकानंद पधारे। वहां योग दिवस पर सभी का इस तरह से एकत्रित होना, सौभाग्य की बात है। देहरादून स्थित एफआरआई मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केंद्रीय राज्य आयुष मंत्री श्रीपदयेसो नाइक, राज्यपाल केकेपाल, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, कबीना मंत्री हरक सिंह रावत आदि मंत्रियों, सांसद व विधायकों ने योगाभ्सास किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एफआरआई मैदान से दुनियाभर के योग प्रेमियों को चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुये कहा कि योग दिवस पर हम सभी का इस तरह एकत्रित होना, किसी सौभाग्य से कम नहीं। उत्तराखंड तो वैसे भी अनेक दशकों से योग का मुख्य केंद्र रहा है। यहां के ये पर्वत स्वतः ही योग और आयुर्वेद के लिए प्रेरित करते हैं। सामान्य से सामान्य नागरिक भी जब इस धरती पर आता है, तो उसे एक अलग तरह की, एक दिव्य अनुभूति होती है। इस पावन धरा में अद्भुत स्फूर्ति है, स्पंदन है, सम्मोहन है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब यूनाइटेड नेशन्स में योग के लिए प्रस्ताव रखा तो, यह पहला ऐसा प्रस्ताव था जिसको दुनिया के सर्वाधिक देशों ने कॉस्पान्सर किया। ये पहला ऐसा प्रस्ताव था जो जब यूनाइटेड नेशन्स के इतिहास में सबसे कम समय में स्वीकृत हुआ। आज विश्व का हर नागरिक, हर देश योग को अपना मानने लगा है और अब हिन्दुस्तान के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है कि हम उस महान विरासत के धनी है, हम उन महान परम्परा की विरासत को संजोय हुए है। आज योग ने सिद्ध कर दिया है कि हिन्दुस्तान ने फिर से एक बार योग के सामर्थ्य से दुनिया को जोड़ दिया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि चतुर्थ अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस की मेजबानी का अवसर उत्तराखण्ड को मिला और प्रधानमंत्री के सानिध्य में योग करने का सौभाग्य मिला यह प्रदेश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से आज हम 21 जून को विश्व भर में योग दिवस मना रहे है। उन्होंने कहा योग हमारे पुरातन परम्परा की अमूल्य देन है। योग मन, शरीर, विचार, कर्म, संयम और उपलब्धि की एकाग्रता तथा मानव प्रकृति के बीच सामंजस्य का मूर्त रूप है। योग स्वास्थ्य और कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम न होकर अपने आप से वह प्रकृति के साथ तादात्म्य को प्राप्त करने का माध्यम है। यह हमारी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर तथा हममें जागरूकता उत्पन्न करके जलवायु परिवर्तन में लडने में सहायक सिद्ध हो सकता है। प्रधानमंत्री के इस संकल्प को लेकर सारे देश एकजुट हो गये।

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का देवभूमि से गहरा लगाव है। हम यहां पूरे वर्ष चारधाम यात्रा कर सके, इसके लिए उन्होंने हमे ऑल वैदर रोड जैसा तोहफा राज्य को दिया है। केदारनाथ का नवनिर्माण प्रधानमंत्री के मागदर्शन में हो रहा है। देवभूमि में रेल और सड़क का विस्तार तेजी से हो रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को उत्तराखण्ड में निर्मित गुलाब का तेल भेंट किया।