तोरा मन दर्पण कहलाये …

बनखण्डी स्थित रामलीला प्रागंण में श्रीरामचरित मानस की 58वीं पुनरावृति का हुआ शुभारंभ
पहले दिन रंगमंच में गणेश वंदना, कैलाश लीला, रावण वेदवती संवाद का हुआ मंचन
ऋषिकेश।
श्रीरामलीला कमेटी के तत्वाधान में श्रीरामचरित मानस की 58वीं पुनरावृति रामलीला का बुधवार को शुभारंभ हो गया। पहले दिन रंगमंच में गणेश वंदना, कैलाश लीला, रावण वेदवती संवाद का संवाद दर्शाया गया।
तीर्थनगरी की ऐतिहासिक रामलीला पूर्व दायित्वधारी संदीप गुप्ता, ज्योति सजवाण व इंद्रकुमार गोदवानी ने संयुक्तरुप से शुभारंभ किया। उन्होंने राम के आदर्शो व उनके जीवन चरित्र पर दर्शायी जाने वाली श्री रामचरित मानस पर आधारित रामलीला से जीवन में सीख लेने की अपील की। कहाकि आज के समय में मर्यादा, आज्ञाकारी पुत्र, कुशल प्रशासक की सीख श्रीराम के जीवन से लेनी चाहिये।

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रामलीला मंचन के पहले दिन गणेश वंदना से रंगमंच का शुभारंभ हुआ। दूसरी लीला में दर्शाया गया कि वन में वेदवती विष्णु भगवान की स्तुति करते हुए विचरण कर रही है। इस दौरान रावण की नजर वेदवती पर पड़ती हे तो वह मोहित हो जाता है और वेदवती को पाने का प्रयास करता है। विष्णु को सबकुछ मान चुकी वेदवती रावण के प्रयास से नाराज हो जाती है और अपने को अपवित्र करने पर रावण को श्राप देती है कि अगले जन्म में तेरे विनाश का कारण मैं ही बनूंगी। वेदवती ही अगले जन्म में सीता के रुप में राजा जनक को प्राप्त होती है।

तीसरी लीला के रुप में कैलाश पर्वत से रावण का पुष्पक विमान नही उड़ पाता है, रावण क्रोधित होकर कैलाश पर्वत को उठाकर सम्रदु में फेकने को जाता है। रावण द्वारा मौसम कौन है योद्धावल में कहकर अपने को पराक्रमी दर्शाया जाता है। रावण का घंमड तब चूर हो जाता है जब वह कैलाश को हिला भी नही पाता है। भगवान शिव ने रावण का घमंड तोड़ा। रावण की अगुंली पर्वत में फंसने पर रावण शिव शंभु सदा बम-बम भोला की स्तुति गाता है। शिव भगवान उसकी स्तुति से प्रसन्न होकर उसे एक अस्त्र आशीर्वाद के रुप में देते है।

कार्यक्रम का संचालन महामंत्री हरीश तिवाड़ी ने किया। इस दौरान कमेटी अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, इन्द्र कुमार गोदवानी, ज्योति सजवाण, संदीप गुप्ता, सतीश पाल, राकेश पारछा, गोबिन्द अग्रवाल, सरोज डिमरी, पवन गोयल, मनीष शर्मा, सतीश दुबे, कमला प्रसाद भटट, रोहिताश पाल, हुकमचन्द, प्रशांत पाल, राकेश पाल, नीरज चौहान आदि मौजूद थे।