मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर कट्टरपंथियों का कब्जाः नदवी

राम मंदिर पर सुलह का फॉर्मूला सुझाने वाले मौलाना सलमान नदवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से निकाले जाने के बाद कहा है कि वे खुद इससे से अलग हो गए हैं क्योंकि वे लड़ाई-झगड़े के पक्ष में नहीं हैं और चाहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम एकता और अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए मस्जिद को शिफ्ट किया जाए।

नदवी ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में कट्टरपंथी लोगों ने कब्जा कर लिया है। मौलाना नदवी ने कहा, मैं शरीयत के हिसाब से फैसला चाहता हूं और शरीयत में मस्जिद शिफ्ट करने का विकल्प हैै। मैं हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कर रहा हूं। दोनों समुदाय मिलकर बात करेंगे। सबसे पहले अयोध्या जाऊंगा। साधु-संतों के साथ मिलकर बातचीत करेंगे।

वहीं उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा मुस्लिम लॉ बोर्ड को प्रतिबंधित करने की मांग पर नदवी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भंग नहीं करना चाहिए।

मुस्लिम बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य थे नदवी

गौरतलब है कि मौलाना नदवी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया था और मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने का फॉर्मूला सुझाया था, जिसके बाद से बोर्ड उनसे नाराज चल रहा था। हैदराबाद में बोर्ड की तीन दिवसीय बैठक के दौरान उन्हें निकालने का फैसला लिया गया। नदवी बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य थे।

नदवी ने रखा मंदिर निर्माण का प्रस्ताव

माना जा रहा है कि मौलाना सलमान नदवी के खिलाफ बोर्ड की कार्रवाई से कोर्ट के बाहर राम मंदिर विवाद को सुलझाने की कोशिश को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, बोर्ड की बैठक से पहले मौलाना सलमान नदवी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर एक प्रस्ताव रखा था। इसमें उन्होंने बातचीत कर अयोध्या विवाद सुलझाने और मस्जिद के लिए कहीं और जमीन लेने का प्रस्ताव दिया था। नदवी के इस बयान के बाद काफी विवाद हुआ था।

वहीं हैदराबाद में बोर्ड की बैठक हुई। एक तरफ नदवी इस बैठक से ही नदारद दिखे, तो वहीं दूसरी तरफ आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की।

बोर्ड ने साफ कहा कि वह अपने पुराने रुख पर कायम है और मस्जिद के लिए समर्पित जमीन न तो बेची जा सकती, न उपहार में दी जा सकती और ना ही इसे त्यागा जा सकता है।