केन्द्र सरकार की नक्सल नीति फेल हुई …

नई दिल्‍ली।
क्या केंद्र सरकार की नक्सल नीति फ़ेल हो गई है? केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी यही मानते है… इसीलिए अब वो कह रहे है कि केंद्र सरकार इस नीति पर फिर से विचार कर रही है। सरकार का मानना है कि गांवों तक सड़कें जाएंगी तो माओवाद पर क़ाबू पाना आसान होगा। इरादा 44 ज़िलों में 5,000 किलोमीटर से ऊपर सड़कें बनाने का है।
वैसे सुकमा ज़िले के बुरकापाल के पास माओवादी हमले में जो 25 सीआरपीएफ़ जवान शहीद हो गए, वे वहां सड़क बना रहे मज़दूरों की सुरक्षा में लगे थे. सुकमा में बीते डेढ़ महीने में सीआरपीएफ जवानों पर ये दूसरा हमला है। जाहिर है, सड़क बनेगी तो माओवादियों पर क़ाबू पाना आसान होगा. सरकार अब अपनी नक्सल नीति बदलने की बात कर रही है।
हालांकि विकास की बात करने वाली सरकार सड़क निर्माण की नई तकनीक इस्तेमाल करने के सीआरपीएफ़ के प्रस्ताव की अब तक अनदेखी करती रही है. अगर इस पर अमल होता तो शायद ये जानें बच सकती थीं। CRPF का प्रस्ताव है कि नई तकनीक RoadCem के ज़रिए ऐसे ख़तरनाक इलाक़ों में सड़कों का निर्माण होना चाहिए, लेकिन राज्य प्रशासन ने इसे मंज़ूरी नहीं दी। दलील ये दी कि इसके लिए टेंडर दिए जा चुके है, इसलिए मज़दूरों और इंजीनियरों को लेकर इन जवानों को कई महीनों से आना-जाना पड़ रहा था।