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18 साल तक के बच्चों को सीएम की सौगात, वन्यजीव पार्क की कर सकेंगे निःशुल्क सैर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मालसी डियर पार्क स्थित देहरादून-जू में 1-7 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले वन्य जीव सप्ताह का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि उत्तराखण्ड के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, वन्यजीव अभ्यारण्य, कन्जर्वेशन रिजर्व, चिड़ियाघर, नेचर पार्क में देशभर के 18 साल तक के बच्चों हेतु निःशुल्क प्रवेश दिया जायेगा, इससे देश के 45 करोड़ युवा छात्रों एवं युवाओं को पर्यटन से जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ये युवा प्रदेश के पर्यटन एवं ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने में हमारे ब्राण्ड एम्बेस्डर भी बनेंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की, कि उत्तराखण्ड का 71 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र है। यहां के स्थानीय लोगों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण करने हेतु, वन, वन्यजीव एवं पर्यावरण के क्षेत्र अत्यंत महत्पूर्ण है। यहां के लोगों को वनों एवं वन्यजीवों के आर्थिकी से जोड़ने हेतु सी.एम. यंग-ईकोप्रिन्योर स्कीम की शुरुआत की जायेगी। इस स्कीम के अन्तर्गत 1 लाख युवाओं को ईको-प्रिन्योर बनाया जायेगा। इस स्कीम के अन्तर्गत नेचर गाइड, ड्रोन पाइलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, ईकोटूरिज्म, वन्यजीव टूरिज्म आधारित कौशल के उद्यम में परिवर्तित किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने वन्य जीव संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले, वन कार्मिकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिये शीघ्र नीति निर्धारण की भी बात कही है।
मुख्यमंत्री ने इस प्रकार के प्रकृति एवं वन्य जीवों से संरक्षण एवं संवर्धन से जुड़े कार्यक्रमों में छात्रों की भी भागीदारी सुनिश्चित किये जाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य का 71 प्रतिशत भू भाग वनों से आच्छादित है, इसमें हमारा प्रकृति से जुड़ाव स्वाभाविक से रहता है। राज्य के 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्य जीव विहार, 4 संरक्षण आरिक्षित तथा 2 टाइगर रिजर्व राज्य की पहचान हैं। वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन में राष्ट्रीय स्तर पर हमारी निरंतर पहचान बनी रहे इसके लिये सभी को सहयोगी बनना होगा। संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने में भी वन्य जीवों का बड़ा महत्व है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की अवधारणा के मूल में ऊर्जा एवं पर्यटन को राज्य की आर्थिकी का मजबूत आधार माना गया था। हम इस दिशा में प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ने सभी से राज्य के विकास में सहयोगी बनने की अपेक्षा करते हुए कहा कि हमें जो भी जिम्मेदारी मिली है। हम उसे पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ निभाये ताकि हमें इसमें पछतावा न हो, पूरे मनोयोग से बेहतर ढ़ंग से कार्य करने वालों की ईश्वर भी मदद करता है। इससे आत्म सन्तुष्टि भी मिलती है, मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य समाज के अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुचाना है सभी के सहयोग से हम इसमें अवश्य सफल होंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सांप, तितली एवं बांज वृक्ष पर आधारित तीन पोस्टर, कामन वर्ड ऑफ उत्तराखण्ड कॉफी टेबल बुक तथा स्कूलों के लिये दी जाने वाली ई-बुक का भी लोकार्पण किया।
अपने सम्बोधन में वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड से सभी की आस्था जुड़ी है। कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखण्ड की पहचान है। उन्होंने कहा कि वन एवं वन्य जीवों के संवर्धन मे भी देश मे उत्तराखण्ड का अपना महत्व है। देवभूमि के साथ ही यह गंगा यमुना की धरती है। हमारे राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव विहार, नेचर पार्क, चिडिया घर टाइगर रिजर्व के साथ ही बढ़ती टाइगरों व हाथियों एवं सैंकड़ो पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां समृद्ध जैव विविधता की परिचायक तथा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण में उत्तराखण्ड देश की धरोहर है। उन्होंने मुख्यमंत्री को युवा एवं ऊर्जावान मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि उनकी युवा सोच प्रदेश को विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ायेगी। प्रदेश का समग्र विकास ही हम सबका संकल्प भी है।
इस अवसर पर उन स्कूलों के प्रधानाचार्यों को भी सम्मानित किया गया जिनमें इको क्लब का गठन किया गया है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जे.एस. सुहाग, अपर प्रमुख वन संरक्षक रंजन मिश्रा आदि उपस्थित थे।