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कांग्रेस विधायकों के व्यवहार से नाराज स्पीकर ने दिनभर के लिए किया निलंबित

उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को निरस्त किए जाने के अध्यक्ष ऋतु खंडूरी के निर्णय का विरोध करते हुए जमकर हंगामा काटा। इसके कारण विधानसभा की कार्यवाही ​कई बार स्थगित हुई और 15 विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में जारी बजट सत्र के दूसरे दिन शून्य काल में जसपुर से कांग्रेस सदस्य आदेश चौहान ने उधमसिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला सदन में रखा था जिसे अध्यक्ष ने अदालत में विचाराधीन होने की सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया। इस निर्णय से असंतोष जताते हुए कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के सामने पहुंच गए। सुरक्षाकर्मियों के उन्हें रोकने के बावजूद कई सदस्य इस दौरान धक्कामुक्की पर उतर आये जिसके कारण विधानसभा के प्रभारी सचिव हेम चंद्र को अपना आसन छोड़कर उठना पड़ा। इसके बाद भी सदस्य, ​सचिव की मेज पर चढ़कर अपना आक्रोश व्यक्त करते रहे। चौहान के साथ ही हरिद्वार के पिरान कलियर से कांग्रेस सदस्य फुरकान अहमद भी मेज पर चढ़कर हंगामा करने लगे। उन्होंने विधानसभा की नियमावली की किताब फाड़ कर सदन में कागज भी फेंके।
इस दौरान, अध्यक्ष सदस्यों को शांत रहने और अपनी सीट पर बैठने की अपील करती सुनाई दीं लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गयी तो उन्होंने हंगामे में शामिल सभी विधायकों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया और सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
संवाददाताओं से बातचीत में खंडूरी ने सदन में सदस्यों के उग्र प्रदर्शन को गलत बताते हुए कहा कि सदन में मेज को तोड़ना और विधानसभा के प्रभारी सचिव को धक्का देना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उनके निर्णय को लेकर सदस्यों को किसी तरह की समस्या थी तो इसे बातचीत कर सुलझाया जा सकता था लेकिन बातचीत के बजाय सदन के अंदर उग्र प्रदर्शन किया गया जो सही नहीं है। खंडूरी ने कहा, प्रभारी सचिव को धक्का देने, उनकी मेज पर चढ़ने और नियमावली पुस्तिका को फाड़ने के बजाय विधायक अलग से मेरे पास आ सकते थे। इस हंगामे में वरिष्ठ विधायक भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों का व्यवहार कल भी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन की गरिमा के अनुरूप नहीं था और आज भी उन्होंने इसे दोहराया। इस व्यवहार को गलत बताते हुए अध्यक्ष ने कहा कि इसीलिए सभी सदस्यों को दिन भर के लिए निलंबित कर दिया गया।
तीन बजे के बाद कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी निलंबित विधायकों ने सदन नहीं छोड़ा और हंगामा किया जिसकी वजह से कार्यवाही चार बार और स्थगित करनी पड़ी। पांच बार स्थगित होने के बाद शाम पांच बजे सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के साथ आरंभ हुई लेकिन विधायक फिर अध्यक्ष के आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे।