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कांग्रेस का कमल मुरझाया, कमल की सरकार बनने के आसार

मध्यप्रदेश की सियासत के ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने स्वीकार कर लिया है कि अब उनकी सरकार सुरक्षित नहीं है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पैसे और सत्ता के दम पर बहुमत वाली सरकार को अल्पमत में लाया गया है। वहीं राज्य के सियासी गलियारों से खबर है कि कमलनाथ बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं। यह संकट कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कांग्रेस के सभी बागी 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद और पुख्ता हो गया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कल देर रात कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए। इन सभी विधायकों ने छह अन्य विधायकों के साथ 10 मार्च को अपना इस्तीफा दिया था लेकिन प्रजापति ने इनके इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं लिया था। हालांकि उन्होंने छह अन्य के इस्तीफे मंजूर कर लिए थे। ये सभी 16 विधायक अभी बंगलूरू में ठहरे हुए हैं।
कांग्रेस के बागी 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने के बाद विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति का दर्द छलक गया है। स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि वे दुखी हैं। कहा कि और उन्होंने भारी मन से ये इस्तीफे इसलिए स्वीकार किए क्योंकि बागी विधायक मेरे खिलाफ ही कोर्ट में खड़े हो गए… ये लोकतंत्र की बिडंबना है।
इससे पहले के घटनाक्रम में मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल ने कल को अपने सभी विधायकों को व्हिप जारी किया। इसमें कहा गया है कि वे सभी 20 मार्च को विधानसभा में मौजूद रहें और बहुमत परीक्षण के दौरान कमलनाथ सरकार के पक्ष में मतदान करें। वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने भी अपने विधायकों को व्हिप जारी कर कमलनाथ सरकार के खिलाफ मतदान करने को कहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान समेत अन्य भाजपा विधायकों की कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग वाली याचिकाओं पर दो दिन से सुनवाई कर रही थी। पीठ ने विधानसभा के स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने और राज्य सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।
पीठ ने विधायकों से अपना हाथ उठाकर मत प्रकट करने का निर्देश दिया। विधानसभा की पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग का भी आदेश दिया गया है। पीठ ने यह भी साफ किया, विधानसभा सत्र बुलाने का एकमात्र एजेंडा बहुमत परीक्षण कराना होगा। संबंधित अथॉरिटी यह सुनिश्चित करेगी कि बहुमत परीक्षण के दौरान सदन में कानून व्यवस्था कायम रहे।