Tag Archives: Sarafa Goliand Rishikesh

कोर्ट में सजा सुनते ही आरोपी ने गटका जहरीला पदार्थ

न्यायालय में लूट व हत्या के प्रयास के मामले में दोष सिद्ध पाए जाने पर सजा सुनकर एक आरोपी ने जहरीला पदार्थ गटक लिया। इससे न्यायालय परिसर में हड़कंप मच गया। आनन फानन में कोर्ट मोहरिल ने आरोपी को अन्य पुलिस कर्मियों की मदद से उसे राजकीय अस्पताल पहुंचाया। यहां से चिकित्सकों ने उसे एम्स रेफर कर दिया। एम्स के चिकित्सकों के अनुसार युवक की हालत स्थिर है।
12 अक्टूबर 2016 को सहारनपुर के एक सराफा कारोबारी के मुनीम को दिनदहाड़े गोली मारकर लूट के मामले में मंगलवार को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश की अदालत में सुनवाई की तारीख थी। सुनवाई के बाद मामले में पुलिस की ओर से बनाए गए आठ आरोपियों में से दो को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया। दोषमुक्त आरोपियों के नाम सौरभ रस्तोगी और नवीन हैं। इसी क्रम में न्यायालय ने अन्य छह आरोपियों सतेन्द्र रस्तोगी उर्फ बिट्टू, रूप किशोर रस्तोगी, जुगल किशोर रस्तोगी, सतेन्द्र जैन, सुमित रस्तोगी, अनश को दोषी करार दिया। इन सभी छह आरोपियों पर सजा का फैसला सुरक्षित रखते हुए न्यायालय ने बुधवार की तिथि तय घ्की है।
दोपहर करीब एक बजे न्यायालय में जैसे ही सतेन्द्र रस्तोगी उर्फ बिट्टू निवासी दिल्ली को दोष सिद्घ होने का पता चला। दोषी साबित होने का फैसला सुनते ही उसने जेब से फेश वॉश की सीसी में रखा जहरीला पदार्थ निकाला और गटक लिया। यह मंजर देख वहां मौजूद पुलिस कर्मियों में हड़कंप मच गया। आनन फानन में कोर्ट मोहरिल अमित ने तुरंत अन्य पुलिस कर्मियों की मदद से उसे राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया। मगर, यहां से उसे एम्स रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों के अनुसार उसकी हालत स्थिर है। उसे फिलहाल चिकित्सकों की निगरानी में इमरजेंसी के यलो-1 वार्ड में रखा गया है। बुधवार को डिस्चार्ज करने की संभावना है।

एक को छोड़ जमानत पर थे सभी आरोपी
न्यायालय में मंगलवार को तारीख के लिए पहुंचे आठ आरोपियों में से छह जमानत पर बाहर थे। इसके अलावा एक पुलिस अभिरक्षा में था। देहरादून जेल से मंगलवार को पुलिस मामले के आरोपी अनिश को लेकर पहुंची थी।

कब और क्या है मामला
वर्ष 2016 दिनांक 12 अक्टूबर को सहारनपुर के सराफा कारोबारी राजकुमार जैन उर्फ गप्पी का मुनीम जोगेंद्र कुमार (40) उर्फ इंदर निवासी देवबंद बुधवार को आभूषणों की डिलीवरी देने ऋषिकेश आया था। जोगेंद्र सुबह सवा दस बजे के करीब आशुतोष नगर चैराहे पर उत्तराखंड रोडवेज की बस से नीचे उतरा। वह कुछ कदम पैदल चला ही था कि पीछे से भागकर आए दो बदमाशों में से एक ने उस पर पिस्टल से फायर झोंक दिया। गोली जोगेंद्र की गर्दन के पीछे बाएं हिस्से में लगी। घायल होने के बाद भी मुनीम बैग छीनने का प्रयास कर बदमाश से भिड़ गया। छीना-झपटी में बदमाश के हाथ से पिस्टल छूटकर जमीन पर गिर गई। बाद में दूसरे बदमाश ने आभूषण से भरा बैग छीन लिया। बिना देर किए दोनों बदमाश पहले से ही बाइक स्टार्ट किए खड़े तीसरे साथी की मदद से फरार हो गए। घबराहट में बदमाश पिस्टल मौके पर ही छोड़ गए। लहूलुहान मुनीम को स्थानीय लोगों ने ऑटो से सरकारी अस्पताल में पहुंचाया।

कोर्ट में दोष सिद्ध होने का फैसला होते ही आरोपी को पुलिस अपनी अभिरक्षा में ले लेती है। यदि सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी ने जहरीले पदार्थ का सेवन किया तो इसमें पूरी तरह पुलिस का लापरवाही का मामला है। सजा सुनने के बाद आरोपी ने यदि अपत्तिजनक हरकत की है तो इसका मतलब है कि पुलिस अपनी ड्यूटी के प्रति मुस्तैद नहीं थी।

—–विकेश नेगी, अधिवक्ता, क्रिमिनल केस