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तीसरी लहर की तैयारी में एम्स ऋषिकेश में टेली आईसीयू सेवाएं शुरू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश ने कोविड-19 महामारी के दौरान गंभीररूप से बीमार रोगियों की उचित देखभाल के लिए अपनी आईसीयू सेवाओं का विस्तारीकरण कर अस्पताल में 200 से अधिक आईसीयू बेड तैयार किए हैं, इसी कड़ी में अब, एम्स ऋषिकेश ने बड़ी संख्या में गंभीररूप से आईसीयू में भर्ती बीमार रोगियों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए भारत में पहली बार टेली- आईसीयू सेवा प्रारंभ की है। इसके लिए संस्थान ने किंग्स कॉलेज, लंदन (केसीएल) के साथ एमओयू किया है। इस सेवा से एम्स के चिकित्सक एक साथ कई वर्चुअल आईसीयू चला सकते हैं। साथ ही इस सुविधा से ई-आईसीयू और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ संवाद भी स्थापित कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि किंग्स कॉलेज लंदन (केसीएल) के पास इस विषय का व्यापक अनुभव है और यह कॉलेज पहले से ही यूनाइटेड किंगडम यूके में 180 से अधिक एनएचएस अस्पतालों में लाइफ लाइंस यूके नामक एक परियोजना संचालित कर रहा है। यह मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के लिए तात्कालीक आवश्यकता के मद्देनजर मरीजों की सहायता के लिए शुरू की गई थी, जो कि वहां के चिकित्सकों, शिक्षाविदों, विभिन्न कंपनियों की ओर से एक संयुक्त पहल थी। इसकी स्थापना किंग्स कॉलेज, लंदन में क्रिटिकल केयर नर्सिंग के प्रोफेसर लुईस रोज़, गाय्स और सेंट थॉमस अस्पताल लंदन के चिकित्सक डॉ. जोएल मेयर और मिशेल पैक्वेट की एक टीम द्वारा संयुक्तरूप से की गई थी। इस सेवा हेतु ब्रिटिश टेलीकॉम से सुरक्षित सॉफ्टवेयर के साथ-साथ एम्स-ऋषिकेश को ( 50 ) 4जी टैबलेट कंप्यूटर भी प्राप्त हुए हैं।

संस्थान में टेली-आईसीयू सेवाओं का उद्घाटन करते हुए एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि कोविड रोगियों का समुचित इलाज और उनकी देखभाल हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कोविडकाल में कोविड ग्रसित मरीजों के उपचार में संस्थान के सभी डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी अथकरूप से प्रयासरत हैं। लिहाजा मरीजों की स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता और सहयोग के लिए इस प्रस्ताव का स्वागत है। उन्होंने इसके लिए दिए गए सहयोग के मद्देनजर केसीएल और ब्रिटिश टेलीकॉम (बीटी) को धन्यवाद दिया, साथ ही केसीएल को एम्स ऋषिकेश के साथ साझेदारी करने के लिए आमंत्रित किया। जिससे दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में रोगियों की सहायता के लिए कृत्रिम आधार वाला योग्य स्वास्थ्य देखभाल उपकरण विकसित किया जा सके।
निदेशक प्रो. रवि कान्त ने कहा कि एम्स ऋषिकेश ने पिछले 3 वर्षों में ऐसे कई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकसित किए हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच के बिना गरीब रोगियों की स्वास्थ्य संबंधी मदद करने के लिए ऐसी नई तकनीकों को विकसित करने के लिए डीन ऑफ इनोवेशन भी बनाया गया है।
एम्स ऋषिकेश के डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने रोगियों की देखभाल में नई तकनीक को लागू करने के महत्व पर जोर दिया। साथ ही कहा कि हम केसीएल के साथ मिलकर कार्य करने की आशा करते हैं।
संस्थान के वाइस डीन (इनोवेशन) डॉ. डीके त्रिपाठी ने कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए इस तकनीक की सेवा और भूमिका के बाबत विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

जबकि संस्थान की टेली आईसीयू सेवा के नोडल अधिकारी डॉ. केएस राजकुमार, डॉ. योगेश बहुरूपी ने इस सेवा में सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर किंग्स कॉलेज, लंदन में सर्जरी के प्रोफेसर प्रोकर दासगुप्ता, डीन अस्पताल प्रशासन प्रोफेसर यूबी मिश्रा, डीन (अंतर्राष्ट्रीय मामले) प्रो. सोमप्रकाश बसु, डीन अनुसंधान प्रो. वर्तिका सक्सेना के अलावा किंग्स कॉलेज लंदन से प्रो. लुईस रोज़, डॉ. जोएल मेयर, मिस्टर जोसेफ केसी; ऐटोनिक्स कनाडा से मिस्टर मिशेल पैक्वेट, ब्रिटिश कंम्यूनिकेशन इंडिया के हितेश पांड्या आदि मौजूद थे।

एम्स में युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रतियोगिता का पोस्टर लांच

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विश्व तम्बाकू निषेध दिवसः तंबाकू सेवन से प्रतिवर्ष दस में से एक व्यक्ति की मृत्यु

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बच्चेदानी के कैंसर से बचने को नौ से 14 वर्ष की आयु में बालिकाओं को लगानी चाहिए वैक्सीनः एम्स

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में महिलाओं में होने वाले सर्विक्स कैंसर के मामलों को लेकर चिंतित है। जिसके मद्देनजर संस्थान की ओर से कोविडकाल में वेबिनार के माध्यम से महिला जनजागरुकता अभियान शुरू किया जा रहा है। जिसके मद्देनजर … अधिक पढ़े …

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पांच साल के भीतर यूरिनरी इनकांटीनेंस से मुक्त होगा उत्तराखंडः डा. नवनीत

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एम्स ऋषिकेश को ब्लड कैंसर के लिए अमेरिकन सोसाइटी आफ हेमेटोलाॅजी से मिला अनुदान

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