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पंतजलि के सहयोग से प्रदेश में जड़ीबूटी उद्योग की स्थापना

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और बाबा रामदेव की मौजूदगी में राज्य सरकार और पतंजलि के बीच सहयोग कार्यक्रम पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से 5 क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर सहमति बनी।
मुख्यमंत्री आवास पर हुए इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड को जैविक कृषि और जड़ीबूटी राज्य बनाना, राज्य के मोटे अनाज की व्यवसायिक खपत को बढ़ाना, राज्य में आयुष ग्रामों की स्थापना करना, एक विशाल गोधाम (गाौ शाला) की स्थापना करना और पर्यटन को बढ़ावा देना सम्मिलित है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह सारे सेक्टर राज्य की समृद्धि और खुशहाली की दृष्टि से गेम चेंजर साबित होंगे। इन सारे क्षेत्रों में संभावनाओं पर अभी तक काफी विचार-विमर्श हुआ है, लेकिन अब इस क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार कड़े और साहसिक फैसले लेने से नहीं हिचकेगी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो एक महीन के अन्दर सभी क्षेत्रों में ठोस कार्ययोजना तैयार करें, जिसको लेकर ठीक एक महीने बाद समीक्षा बैठक की जाएगी और ठोस कार्ययोजना के आधार पर राज्य सरकार और पतंजलि के बीच आवश्यक समझौते भी किये जायेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि जड़ीबूटी, औद्यानिकी, योग, आयुर्वेद और पर्यटन से राज्य के लोगों की आमदनी बढ़ाने पर कार्य किया जायेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन रोकना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना बहुत आवश्यक है।

किसानों की मदद करेगा पतंजलि
इस दौरान स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि संस्थान उत्तराखण्ड के किसानों को उनके उत्पादों के लिए प्रतिवर्ष एक हजार करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान करने में सक्षम है। सिक्किम जिसे हाल ही में ऑर्गेनिक स्टेट का दर्जा दिया गया है, उससे कही अधिक भूभाग पर उत्तराखण्ड में ऑर्गेनिक खेती हो रही है।

नए पर्यटक स्थलों पर स्थापित होंगे पतंजलि आयुष ग्राम
कहा कि पतंजलि राज्य के उत्पादों के लिए बाईबैक सिस्टम बना रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 13 जिले 13 नये पर्यटन स्थल बनाने के लक्ष्य की सराहना करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि सभी नये पर्यटन स्थलों पर पतंजलि आयुष ग्राम की स्थापना में सहयोग देने को तैयार है।

विशाल गौशाला तैयार करने की योजना
यह भी कहा कि राज्य सरकार के सहयोग से एक विशाल गोशाला की स्थापना करने की योजना है, जिसमें 40 से 60 लीटर दूध देने वाली गायों की नस्ल तैयार की जायेगी। वहीं कार्यक्रम में मौजूद आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि की रिसर्च लैब और अन्य सुविधाओं को आयुर्वेद के शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए खोला जायेगा। पतंजलि के 300 से अधिक वनस्पति विज्ञानी राज्य की एक-एक जड़ीबूटी और पौधे का सर्वेक्षण कर उनका डॉक्यूमेंटेशन कर सकते हैं।