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केंद्रीय बजटः तीर्थनगरी में सत्ता पक्ष ने की सराहना, तो विपक्ष ने निकाली कमियां

केंद्रीय बजट 2021-22 स्वास्थ्य और कल्याण, किसानों के कल्याण, अकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार करना, नवाचार और अनुसंधान और विकास पर आधारित है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा, बल्कि इससे किसानों, बेरोजगार युवाओं और आम आदमी का आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि इस बजट से समग्र विकास सुनिश्चित होगा, जिससे जन साधारण का विश्वास और भी बढ़ेगा। लघु और मध्यम उद्योग, स्टार्ट अप, व्यापार, इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सुधार से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, वहीं छोटे करदाताओं को लाभ मिलेगा। एक देश एक राशन’ योजना, 75 साल से ऊपर के नागरिक को पूर्णरूप से टैक्स में छूट, उज्जवला स्कीम का विस्तार, देश में 15000 आदर्श स्कूल बनाए जाने, 100 सैनिक स्कूल, आदिवासी क्षेत्र में 758 एकलव्य स्कूल, प्रवासी श्रमिकों हेतु खाद्य सुरक्षा योजना, श्रमिकों की न्यूनतम वेतन योजना, मंडियों को इंटरनेट से जोड़ना, एमएसपी को जारी रखना सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधान रखे गए हैं।

प्रेमचंद अग्रवाल, स्पीकर व स्थानीय विधायक

देश का आम बजट में कोरोना के वार से उबर रही अर्थव्यवस्था के बीच सरकार ने इस बजट में इकॉनामी को पुश करने पर जोर रखा है। इस बार हेल्थ सेक्टर और इंफ्रा पर खासा जोर दिया गया है। समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों के हिसाब से यह बजट संवेदनशील है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से एक रूपरेखा प्रस्तुत की है। भविष्य को देखकर बजट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में विकास का विश्वास का खूबसूरत समावेश है। कोरोना की विषम परिस्थितियों के बीच आज आया बजट भारत के आत्मविश्वास को उजागर करने वाला है।

अनिता ममगाईं, मेयर नगर निगम ऋषिकेश।

केंद्रीय बजट से बिल्कुल स्पष्ठ है कि कोविड काल के चलते देश की आर्थिक स्तिथि चिंताजनक है और सरकार के पास कोई ठोस दिशा नही है।आम बजट महंगाई बढ़ाने वाला है और इसमें बेरोजगारों, लघु उद्योगो एवं किसानों की स्तिथि में सुधार के लिए कोई भी ब्लू प्रिंट नही है। मध्यम वर्ग की पूर्णतया उपेक्षा की गई है।

राजे नेगी, नेता आम आदमी पार्टी

पूरी दुनिया के साथ-साथ हिंदुस्‍तान भी कोरोना महामारी की चपेट में आने की वजह से आर्थिक बदहाली में फंस गया है। इसलिए जब बजट पेश होने की तारीख आई तो हमें भी उम्‍मीद थी कि असाधारण स्थिति में बजट में असाधारण दिशा सामने रखकर इससे निकलने की कोशिश होगी। कोई असाधारण कदम उठाया जाएगा लेकिन मुझे हताश होना पड़ा। स्थिति तो असाधारण है लेकिन बजट बेहद साधारण है। ये साधारण बजट के साथ-साथ बहुत सारे बोझ हमारे ऊपर डाले गए हैं जो नहीं डाले जाने चाहिए थे। सरकार आज जिस रास्‍ते पर जा रही है, वह सीधा निजीकरण की ओर ले जा रहा है। स्थिति असाधारण, सरकार चाहती है निजीकरण… यही आज के बजट की कैच लाइन है।

विवेक तिवारी, नेता कांग्रेस ऋषिकेश