Tag Archives: Obstruction of blood flow

एम्स र्में एओटिक वाल्व एन्डोकार्डाइटिस एवं सैम की जटिल कार्डियक सर्जरी सफल

एम्स ऋषिकेश के सीटीवीएस विभाग के चिकित्सकों ने बिजनौर निवासी एक 16 वर्षीय किशोर र्की एओटिक वाल्व एन्डोकार्डाइटिस एवं सैम की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। बताया गया है कि उक्त किशोर बचपन से ही जल्दी थकान, सांस फूलने और घबराहट आदि लक्षणों से परेशान था। निदेशक एम्स प्रो. अरविंद राजवंशी ने जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए चिकित्सकीय टीम की सराहना की है।

बिजनौर, उत्तरप्रदेश निवासी 16 वर्षीय किशोर जो ​कि बचपन से ही सांस फूलने, घबराहट और जल्दी थकान लगने जैसी समस्याओं से ग्रसित था। उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश आने पर यहां कार्डियक थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग सीटीवीएस विभाग में जांच करने पर पता चला कि उसके दिल में छेद है। मगर आसपास हृदय शल्य चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण वह अब तक अपना इलाज नहीं करा पाया। जिसके चलते बीमारी बढ़ने पर उसे पिछले तीन महीने से लगातार बुखार की शिकायत होने लगी थी,जिसके बाद वह अपने संपूर्ण उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश पहुंचा। संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग में विभागाध्यक्ष डा. भानु दुग्गल एवं डा. यश श्रीवास्तव ने किशोर की जांच कर पता लगाया कि उसके दिल में वाल्व में इन्फैक्शन हो गया है एवं उसका वाल्व खराब हो गया है। यही नहीं उसके वाल्व और छेद के बीच में एक झिल्ली बन गई है जिससे उसके शरीर में खून पंप नहीं हो पा रहा था।
जिसके बाद चिकित्सकों ने उसे लगभग एक माह अस्पताल में भर्ती रखा और एंटीबायोटिक दवा दी गई। इसके बाद मरीज को बेहद जटिल ओपन हार्ट सर्जरी के लिए सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डा. अनीश गुप्ता के पास भेजा गया। इसके बाद करीब 6 घंटे चली अत्यंत जोखिमपूर्ण सर्जरी को डा. अनीश गुप्ता एवं उनकी टीम ने बखूबी अंजाम दिया और किशोर को नया जीवन प्रदान किया। किशोर के उपचार में एनिस्थिसिया विभाग के डा. अजेय मिश्रा ने बेहोशी एवं आईसीयू में मरीज की रिकवरी में अहम भूमिका निभाई। सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डा. अंशुमन दरबारी ने बताया कि हमारा विभाग वक्त रहते सभी मरीजों को संपूर्ण उपचार उपलब्ध कराने के लिए सततरूप से प्रयासरत है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर अरविंद राजवंशी ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने व किशोर को नवजीवन प्रदान करने के लिए डा. अनीश गुप्ता व उनकी टीम की सराहना की। चिकित्सक ने बताया कि मरीज अब पूरी तरह से फिट है,जिसे डिस्चार्ज जल्द करने की तैयारी है।
क्या है इन्फैक्टिव एन्फैक्टिव एंडोकार्डाइटिस और सैम चिकित्सक ने बताया कि जिन बच्चों का समय रहते दिल के छेद का आपरेशन नहीं हो पाता है, उनको हार्ट के वाल्व में लीकेज और इन्फैक्शनका रिस्क रहता है। जिसे इन्फैक्टिव एंडोकार्डाइटिस कहा जाता है। यह एक जानलेवा स्थिति होती है, यही नहीं छेद से खून के बहाव से एक झिल्ली बन जाती है जिसे सैम अथवा सब एरोटिक मैम्ब्रोन कहते हैं। यह शरीर में रक्त के बहाव में रुकावट उत्पन्न करती है।