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डेढ़ लाख से अधिक लोगों को राहत देने के लिए धामी सरकार लायेगी अध्यादेश

नजूल नीति पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब उतराखंड सरकार इसी महीने इसका अध्यादेश लाएगी। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इससे पहले छह दिसंबर की कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा। शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से देवस्थानम बोर्ड के बाद नजूल प्रकरण का भी समाधान हो गया है। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में नजूल नीति का प्रस्ताव आएगा।

इसके बाद नौ व दस दिसंबर को होने जा रहे शीतकालीन सत्र में नजूल नीति का अध्यादेश लाया जाएगा। मंत्री भगत ने कहा कि वर्ष 2018 में भी भाजपा की सरकार ही कैबिनेट में नजूल नीति का प्रस्ताव लाई थी, जिसका शासनादेश आने से पहले ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अध्यादेश आने के बाद प्रदेश में नजूल भूमि एक्ट लागू किया जाएगा। जिससे उत्तराखंड के लाखों परिवारों को नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिल जाएगा। साथ ही अधिक से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ मिल सकेगा।

करीब चार लाख हेक्टेयर है नजूल भूमि
देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है। इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं। कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं। सरकार नीति के तहत इस भूमि को फ्री होल्ड कराना चाहती है।

नजूल भूमि नीति में कब क्या हुआ
– 2009 में सरकार ने नजूल भूमि फ्री होल्ड नीति बनाई।
– इसके तहत भूमि फ्री होल्ड करने की कवायद शुरू की।
– सरकार की नीति के प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
– हाईकोर्ट ने नीति पर रोक लगाई और कब्जे हटाने के आदेश दिए।
– मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जिसमें यथास्थिति बनाने के आदेश हुए।
– 2018 में भाजपा सरकार ने भी नई नजूल नीति लाने की कोशिश की।

त्रिवेन्द्र सरकार अब नजूल की भूमि पर राहत देने की कर रही तैयारी

राज्य सरकार नजूल भूमि पर काबिज लोगों को बड़ी राहत देने जा रही है। सरकार जल्द ही नजूल नीति लाने जा रही है। शासन स्तर पर नीति लाने को लेकर कसरत शुरू हो गई है। 2009 की नजूल नीति के … अधिक पढ़े …