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सरकार का तोहफा, सभी कर्मचारियों को मिलेगा नए शासनादेश का फायदा

हाल ही में शासन ने सीधी भर्ती और पदोन्नति पाने वाले कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में अंतर को समाप्त करने के संबंध में जो आदेश किया था, उसका लाभ अब प्रदेश के एक लाख कर्मचारियों को मिलने जा रहा है।
दरअसल, छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सीधी भर्ती और पदोन्नति के पदों पर न्यूनतम वेतन निर्धारण में विसंगति पैदा हो गई थी। इसके संबंध में शिक्षा विभाग ने शासन से स्पष्टीकरण मांगा था, जिस पर शासनादेश जारी किया गया। कर्मचारी संगठनों ने जब खोज खबर की तो खुलासा हुआ कि इसका फायदा प्रदेश के समस्त कर्मचारियों को मिलेगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के मुख्य संयोजक ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि इससे कर्मचारियों और शिक्षकों को 1000 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक का वित्तीय लाभ मिलेगा।
प्रदेश में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सीधी भर्ती और पदोन्नत कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में असमानता की विसंगति पैदा हो गई थी। पदोन्नति के बाद कर्मचारियों को समान पद पर सीधी भर्ती से कम न्यूनतम वेतन निर्धारित हुआ। इसे लेकर पदोन्नति पाने वाले शिक्षक व कर्मचारी सरकार से लगातार विसंगति दूर करने की मांग कर रहे थे।
अब नए शासनादेश से पदोन्नति के बाद कर्मचारी का न्यूनतम वेतन सीधी भर्ती से आए कर्मचारी के बराबर होगा। प्रदेश सरकार के तकरीबन सभी विभागों में इसी तरह की विसंगति है। इनमें प्रमुख विभाग वन, मत्स्य, कृषि, उद्यान, ग्राम्य विकास, गन्ना, आबकारी, परिवहन, सहकारिता, वाणिज्य कर, ग्रामीण अभियंत्रण, राजस्व, खाद्य आपूर्ति, मनोरंजन कर समेत कई अन्य विभागों के कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आशंका जताई कि विभागों के अध्यक्ष शासनादेश को शिक्षा विभाग तक सीमित करके कर्मचारियों को उनके लाभ से वंचित कर देना चाहते हैं। लेकिन परिषद चुप नहीं बैठेगी। शनिवार को परिषद की बैठक में तय हुआ कि कोई विभागाध्यक्ष शासनादेश को लागू करने में हीलाहवाली करेगा तो परिषद उसका घेराव करेगी। बैठक में प्रदीप कोहली, नंद किशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, राकेश प्रसाद ममगाईं, गुड्डी मटूड़ा, विजया जोशी, एनएस कुंद्रा, सुभाष शर्मा समेत कई अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।