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विरोध से पहले बलूनी की मुहिम को समझना जरूरी

उत्तराखंड की सियासत में शह और मात का खेल देखने को मिल रहा है। यह अदृश्य रुप से चल रहा है, जिसे पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अपने-अपने चश्में से देख रहे है। ताजा खबर यह है कि एक बार फिर से लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी का नाम लोगों की जुबां पर है। कभी अपने लोक गीतों से व्यवस्थाओं पर चोट करने की लोकप्रियता हासिल कर चुके नेगी दा, अब राजनीतिक रुप से मोहरें के रुप में प्रयोग किये जा रहे है।
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के ’’अपना वोट अपना गांव’’ की मुहिम के तहत 8 नवंबर 2019 को अपने गांव में इगास बग्वाल मनाने की मुहिम ने जोर पकड रखा है। इसे उत्तराखंड मूल की कई बड़ी हस्तियों का समर्थन मिला है। वहीं, नरेन्द्र सिंह नेगी के ताजा बयान को सांसद की इस मुहिम के खिलाफ जोड़कर देखा जा रहा है। नरेंद्र सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि यदि उत्तराखंड के लोगों को उत्तराखंड से प्रेम है तो उन्हें इगास बग्वाल मनाने के लिए उत्तराखंड आने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली मनाने के लिए आना चाहिये।
“मुझे पहाड़ी मत बोलो” गीत के जरिये पहाड़ों की दुर्दशा बयान करने वाले नेगी दा का यह बयान कई लोगों के दिलों में नही उतर रहा है। उत्तराखंड के लोग नेगी दा को एक कलाकार ही नही बल्कि उत्तराखंड की आवाज मानते है, लेकिन ताजा बयान के बाद लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। पत्रकार जगत के लोगों का मानना है कि पद्मश्री सम्मान न मिलने की वजह से नेगी दा के सुर अलग पड़ गये है। वहीं, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह वजह दमदार नही है, क्योकि नेगी दा उत्तराखंड सरकार के विरोध में नही है। ऐसे माहौल को सरकार के प्रति नाराजगी के रुप में नही देखा जा सकता है। हां इतना जरुर है कि ऐसी मुहिम चलाकर लोकप्रियता हासिल कर चुके सांसद अनिल बलूनी का मनोबल गिराना, एक कारण हो सकता है। वैसे भी राजनीति में दोस्त ही दोस्त का दुश्मन कहा जाता है।
वहीं, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नेगी दा का जिस पर दिल आता है वह खुलकर समर्थन करते है। चाहे वह कोई पार्टी हो या सरकार। इसका एक उदाहरण देते हुए बताया कि नारायण दत्त तिवारी के समय सरकारी सेवा में होते हुए विदेश जाने की अनुमति लेने के लिए सीधे मुख्यमंत्री के पास जाने पर तिवाड़ी जी ने प्रोपर चैनल आने और कार्यवाही करने की बात कही थी, जिस पर नेगी दा ने मुंह बना लिया था। फिर बाद में नौछमी नरैण… का गीत आखिर किसको याद नही।