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वकीलों की हड़ताल को समझा जाएगा कोर्ट की अवमानना

हरिद्वार, यूएस नगर और देहरादून में 34 साल से शनिवार को होने वाली वकीलों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार को नैनीताल हाईकोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है। कोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।

हाईकोर्ट ने साफ कहा कि कोई भी अधिवक्ता या बार काउंसिल हड़ताल करता या हड़ताल का आह्वान करता है तो बार काउंसिल ऑफ इंडिया उस पर कार्रवाई करे। कोर्ट ने कहा कि यदि अधिवक्ता हड़ताल पर जाएंगे तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि यदि अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहते हैं तो जिला जज इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट को करेंगे और हाईकोर्ट उस रिपोर्ट के आधार पर हड़तालियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। देहरादून निवासी ईश्वर शांडिल्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि दून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में पिछले 34 वर्षों से शनिवार को अधिवक्ताओं की ओर से हड़ताल की जाती रही है।
इससे वादकारियों को न्याय से वंचित होना पड़ रहा है। याची ने हड़ताल को गैर कानूनी घोषित करने की मांग की थी। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वादकारियों के हित में अहम फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने कहा कि समस्त न्यायिक कार्य सुचारु रूप से चलते रहेंगे। कोई भी न्यायिक अधिकारी हड़ताल की वजह से मुकदमे की तारीख नहीं टालेगा। यदि हड़ताल की वजह से सुनवाई टली तो इसकी जवाबदेही न्यायिक अधिकारी की होगी।

कोर्ट ने सभी जिला पुलिस प्रमुखों को हड़ताल के समय न्यायालयों को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है ताकि न्यायिक कार्यों में किसी तरह का व्यवधान न हो सके। कोर्ट ने कहा कि यदि वकीलों को किसी भी न्यायिक अधिकारी से शिकायत है तो शिकायत पर हाईकोर्ट जांच करेगा और आरोप सही पाए जाने पर हाईकोर्ट संबंधित के खिलाफ कार्रवाई भी करेगा।