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गाय उसी प्रकार पवित्र, जैसे नदियों में गंगाः स्वामी परमानंद दास

– मधुबन आश्रम में हुई गौमाता की पूजा, परिक्रमा पूरी कर की विश्व शांति की कामना

मधुबन आश्रम में गोवर्धन पूजा के अवसर पर सायं गौपूजन किया गया। सर्वप्रथम गौ माता को चारा खिलाया गया। इसके पश्चात गौमाता की विधिविधान से आश्रम संचालक व स्वामी परमानंद दास ने पूजा-अर्चना की। आरती के पश्चात गौ माता की परिक्रमा की गई। राधे कृष्ण, गौमाता पर आधारित भजनों की गंूज रहीं। यहां के बाद आश्रम के पूर्व संचालक व स्वामी ब्रह्मलीन भक्तियोग जी महाराज के समाधि स्थल की पूजा हुई। इसके बाद मुख्य मंदिर पर भजन और छप्पन भोग का आयोजन किया गया।

स्वामी परमानंद दास ने श्रद्धालुओं को बताया कि गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।

कहा कि जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।
इस मौके पर आश्रम संचालक हर्ष कुमार सहित विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुजन पहुंचे और गौमाता का आशीर्वाद प्राप्त किया।