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कैबिनेट के फैसले से कहीं खुशी तो कहीं नाराजगी

अनधिकृत निर्माण को न्यूनतम करने के लिए सरकार ने कैबिनेट में नियमों और मानकों में ढील देते हुए एक बार फिर कई कदम उठाए हैं। इसके पीछे मंशा ये ही है कि भवन निर्माण की जटिलताओं को कम से कम किया जाए, साथ ही ज्यादा से ज्यादा अवैध निर्माणों के नियमितीकरण के लिए रास्ता खुल सके। सरकार का मानना है कि नियमों में शिथिलता के बाद अवैध निर्माण के लिए कम से कम गुंजाइश रहेगी। इसके बावजूद, यदि अवैध निर्माण किए जाते हैं, तो इसके लिए भारी भरकम जुर्माने की भी सरकार व्यवस्था करने जा रही है।
त्रिवेंद्र सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की थी। यह योजना छह महीने चलकर जून 2019 में खत्म हो गई। हालांकि इसका बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया। इसकी वजह ये भी रही कि सरकार का इन पिछले महीनों में चुनावी चुनौती से निबटने में ज्यादा ध्यान रहा। अब स्थिति सामान्य होने के बाद सरकार ने इस योजना में कुछ एक बातों को और शामिल करते हुए तीन महीने के लिए इसकी अवधि बढ़ा दी है।
सरकार ने भवन उपविधि में भी आमूलचूल संशोधन किए हैं। आवास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार, हमने यह कोशिश की है कि अवैध निर्माण के लिए कोई गुंजाइश न रहने पाए। इसलिए छोटी-छोटी तकनीकी बातों का भी ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद, यदि अवैध निर्माण किए जाते हैं, तो यह बर्दाश्त नहीं होंगे। इसके लिए जल्द ही जुर्माना राशि को बढ़ाने की व्यवस्था भी की जा रही है।

वन टाइम सेटलमेंट की अब ये होगी व्यवस्था
पूर्व व्यवस्था में एकल आवासीय भवन में बैक सेटबैक में 40 प्रतिशत निर्माण की अनुमन्यता है, जिसकी ऊंचाई सात मीटर तक अनुमन्य है। संशोधित प्राविधान के अनुसार, 40 प्रतिशत निर्माण दस मीटर तक की ऊंचाई तक अनुमन्य होगा। यानी अतिरिक्त तीन मीटर ऊंचाई अनुमन्य होगी। 150 वर्ग मीटर तक भूखंड में बैक सेटबेक 100 फीसदी तक कंपाउंडिंग हो सकेगी। व्यवसायिक मामलों में पूर्व प्राविधान के साथ अतिरिक्त दस फीसदी तक की सुविधा दी गई है।