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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और वरिष्ठ पत्रकार सच्चिदानंद पैन्यूली पंचतत्व में विलीन

टिहरी रियासत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सच्चिदानंद पैन्यूली पुत्र स्वर्गीय कृष्णानंद पैन्यूली का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अपने ऋषिकेश स्थित निवास स्थान पर सुबह करीब 3 बजकर 40 मिनट पर अंतिम सांस ली।
रविवार को पूर्णानंद घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें मुखाग्नि उनके बेटे संपूर्णानंद पैन्यूली ने दी। बताते चले कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सच्चिदानंद पैन्यूली पिछले एक माह से बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। ठीक एक महीने पहले 12 मार्च को उनकी पत्नी मनोरमा देवी का देहांत हो गया था। वर्तमान में वे ऋषिकेश के गंगानगर हनुमंत पुरम लेन नंबर छह में निवास कर रहे थे।
उनका मूल निवास स्थान छोल गांव बड़कोट टिहरी गढ़वाल में है। उनकी अंत्येष्टि में जिलाधिकारी देहरादून आशीष श्रीवास्तव, मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाईं, सीओ ऋषिकेश वीरेंद्र सिंह रावत, सीओ नरेंद्र नगर प्रमोद शाह, मुनीकीरेती थाना अध्यक्ष रामकिशोर सकलानी शामिल रहे।

उनके जीवन पर एक नजर ….
– 29 मार्च 1929 को जन्मे डॉ. सच्चिदानंद पैन्यूली स्नातक की पढ़ाई के बाद टिहरी रिसायत में प्रथम बार 25 जुलाई 1946 को शहीद सुमन के शहीदी दिवस पर गिरफ्तार हुए।
– टिहरी जेल से बड़े भाई पूर्व सांसद व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिपूर्णानंद पैन्युली को फरार कराने के षड्यंत्र में गिरफ्तार किए गए। 13 दिसंबर 1946 को स्वयं भी फरार हो गए।
-अपने पैतृक गांव छोल बडकोट में अस्पताल के लिए ढाई एकड़ भूमि दान की। यहां अस्पताल बनने के बाद 13 जुलाई 1988 को तत्कालीन रक्षामंत्री केसी पंत ने उद्घाटन किया।
– सन 1951 में आचार्य विनोबा भावे से प्रेरित होकर भूदान यज्ञ में सक्रिय भूमिका निभाई।
– भारत छोड़ो आंदोलन के दिवस पर नौ अगस्त 2008 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने डॉ. सच्चिदानंद पैन्यूली को सम्मानित किया गया।
– पत्रकारिता के लिए ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने 25 फरवरी 2017 को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की मानद उपाधि से सम्मानित किया।