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ऋषिकेशः 2018 में शौचालय को लेकर हुई मारपीट, कोर्ट ने आरोपियों को किया बरी

वर्ष 2018 में चंद्रेश्वर नगर में शौचालय को लेकर किरायदारों में हुई मारपीट के मामले में न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपियों को दोषमुक्त किया है।

दरअसल, प्रभाकर पांडेय निवासी चंद्रेश्वर नगर ने कोतवाली ऋषिकेश में दी तहरीर में बताया था कि 28 फरवरी 2018 को वह शौच के लिए गए। तभी पीछे से विक्रम, राहुल और सुरेंद्र ने उन्हें शौचालय में बंद कर बाहर से कुंडी लगा दी थी। बाद में कुंडी खोलते हुए उनके साथ मारपीट की। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। साथ ही मामले में चश्मदीन भी बताए।

इस मामले में अधिवक्ता कपिल शर्मा व अधिवक्ता राजेश साहनी ने आरोपियों की ओर से मजबूत पैरवी की। अधिवक्ताओं ने न्यायालय में प्रस्तुत चार्जशीट के आधार पर साक्षीगणों से सवाल जवाब किए। जिसके आधार पर न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया।
1. अधिवक्ता कपिल शर्मा और राजेश साहनी ने न्यायालय को बताया कि जब घटना 28 फरवरी 2018 को हुई तो 10 मार्च 2018 यानी 10 दिन बाद प्रथम सूचना क्यों दर्ज कराई गई। इस मामले में संदेह है और इस पर पीड़ित पक्ष की ओर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
2. अधिवक्ता कपिल शर्मा और राजेश साहनी ने न्यायालय को जोर देते हुए बताया कि जब पीड़ित पक्ष की ओर से चार्जशीट में यह बताया गया कि आरोपियों ने उन्हें शौचालय के भीतर बंद किया और बाहर से कुंडी लगाई। मगर, न्यायालय में पीड़ित प्रभाकर पांडेय अपने बयान से पलटते हुए बोला कि उसे नहीं मालूम शौचालय में किसने बंद किया।
3. अधिवक्ता कपिल शर्मा और राजेश साहनी ने न्यायालय को बताया कि जब प्रथम सूचना में आरोप राहुल, विक्रम और सुरेंद्र चौहान पर लगाया गया तो विवेचक ने किस आधार पर राहुल को इन आरोपों से दूर रखा। यह भी संदेहास्पद है।
4. पीड़ित पक्ष उन अपमानजनक शब्दों को नहीं बता पाया जिनसे यह धारा 504 आईपीसीए साबित होती हो।
5. इसी तरह घटना के दौरान पुलिस की ओर से बताए गए चश्मदीनों ने कोई संतोषजनक जवाब न्यायालय में नहीं दिया।

तमाम दलीलों के आधार पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भवदीप रावते ने फैसला सुनाते हुए आरोपियों सुरेंद्र चौहान और विक्रम सिंह को दोषमुक्त किया है।