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हजम नहीं हो रही निर्विवाद परीक्षाएं, छात्रों को भरमाने के लिए खड़ा किया जा रहा बेवजह का बखेड़ा

देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून उत्तराखंड में धामी सरकार लागू कर चुकी है और इसके लागू होने के बाद से राज्य में तीन परीक्षाएं निर्विघ्न रूप से सम्पन्न भी हो गई हैं। ऐसे में परीक्षार्थियों को भरमाने वालों को सरकार के लगातार छात्र हितैषी कदम रास नहीं आ रहे। यही वजह है कि छात्रों पर अपना बस न चलता देख विघ्नसंतोषियों ने परीक्षाओं को लेकर तमाम तरह के भ्रम फिर से फैलाने शुरू कर दिए हैं।
ये पुष्कर सिंह धामी ही हैं जिन्होंने परीक्षाओं में विगत कई वर्षों से चल रही धांधलियों का न केवल खुलासा करने की हिम्मत जुटाई बल्कि किसी के दबाव में न आते हुए बड़े से बड़े को जेल के अंदर डाल दिया। अब तक 60 से ज्यादा लोगों को विभिन्न परीक्षाओं में जेल भेजने वाले धामी यहीं नहीं रुके उन्होंने राज्य के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करते हुए देश का सबसे कड़ा कानून भी लागू करने में देर नहीं लगाई। जब विघ्नसंतोषियों और विरोधियों को लगने लगा कि यहां उनकी अब दाल नहीं गल रही तो उन्होंने पहले तो छात्रों को सीबीआई जांच के लिए बरगलाने का काम शुरू किया लेकिन राज्य के समझदार छात्र इस बात को समझ गए कि उन्हें केवल सीबीआई जांच के नाम पर मोहरा बनाया जा रहा है। जब छात्रों को भरमाने वालों को लगा कि अब तो उनकी राजनीति नहीं चल पा रही तो अबकी बार कनिष्ट सहायक भर्ती परीक्षा को लेकर ये फैला दिया कि परीक्षा के चारों सेट एक ही थे। यहां समझने की जरूरत है कि केवल सेट ही एक से आए। इससे कहीं ये साबित नहीं हो रहा कि परीक्षा में किसी तरह की कोई नकल हुई या फिर पेपर लीक हुआ लेकिन इस मामले को बेवजह अपना उल्लू सीधा करने के लिए कल से ही हवा देने के कुप्रयास किये जा रहे हैं। बता दें कि नकल विरोधी कानून लागू होने के बाद पीसीएस, कनिष्ठ सहायक व एक अन्य जो परीक्षा हुई उसमें कहीं भी कोई पेपर लीक, नकल होने जैसी बातें सामने नहीं आई। अब यही बात विघ्नसंतोषियों को हजम नहीं हो पा रही। छात्रों के बीच बैठे बेहरुपीये किसी भी तरह से अपने चेहरे को चमकाने और खुद को राजनीति में फिट करने के लिए कुछ भी करने को तैयार बैठे हैं जबकि युवा अब इनकी सारी बात समझ रहा है। वह समझ रहा है कि कौन चुनाव लड़ने की फिराक में उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।