Tag Archives: bus accident killed 29 people

बस हादसे में 29 की दर्दनाक मौत

हिमाचल प्रदेश के रामपुर में गुरुवार को खनेरी में सतलुज के किनारे हुये बस हादसे में 29 लोग मारे गये। हादसा इतना भयानक था कि यहां लाशों के अंबार लग गये। जिंदा कौन है, कौन नहीं इसे पहचानने में बचाव दल की सांसे भी फूल गईं। अपनों को पहचानने के लिए हर आखें बेकरार थी तो आंसुओं के सैलाब में मातम पसरा था। मंजर देखकर यहां हर आंख रो पड़ी। यह अभागी बस जब चली होगी तो किसी को क्या पता था कि आगे चलकर यही बस एक कार को बचाने के चक्कर में खुद ही ताबूत में बदल जायेगी और यह सफर उनका आखिरी सफर साबित होगा।
हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर खूनी खेल जारी है लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक प्रदेश में सड़क हादसों में लोग बेमौत मरते रहेंगे। सरकार की ओर से सड़क हादसों को रोकने के लिए योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन वे कागजों तक ही सीमित होकर रह जाती हैं। उन्हें धरातल में लाने में सरकारी अमला ही संजीदा नहीं रहता। आमतौर पर इस पहाड़ी प्रदेश में वाहनों में हो रही ओवरलोडिंग व विभागीय सिस्टम की लापरवाही से सड़क हादसों में लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। पुलिस व परिवहन निगम ओवरलोडिंग रोकने में पूरी तरह नाकाम हो रहा है। हादसों को रोकने के लिए प्रशासन अगर सजग होता तो गुरुवार को एक साथ रामपुर के पास खनेरी में बस हादसे में एक साथ 29 लोग मौत के मुंह में समाते। इससे पहले शिमला के पास गुम्मा में हुये सड़क हादसे में भी सात लोग मारे गये थे।

सड़क हादसों पर एक नजर …
पिछले कुछ दिनों में हादसों पर नजर दौड़ायें तो 10 जून को धर्मशाला में कालापुल में हुये हादसे में तीन लोग मारे गये। 14 जून को ठियोग में जीप पलटने से दो लोग मारे गये। 15 जून को जिला कांगड़ा में चितपुर्णी रोड़ पर ढ़लियारा में भी मौत को दावत देती निजी बस में करीब 80 लोग सवार थेए जिसमें 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बस में अगर ओवरलोडिंग न होती तो यह हादसा न होता। 15 जून को जिला कांगड़ा के ढ़लियारा में हुये हादसे में भी 52 सीटर बस में 80 लोग सवार थे। 15 जून को ही शिमला में एचआरटीसी की बस पलटी तो 23 लेाग घायल हो गये। 17 जून को नेरवा में भरणू खड्ड हादसे में तीन लोग मारे गये। 18 जून को डमटाल में पति, पत्नी की एक साथ मौत हो गई। 23 जून को सोलन में जौणा जी में हादसे में तीन लोग मारे गये। इसी दिन दानोघाट में दो और लोग मारे गये। यही नहीं सड़कों की हालत भी दयनीय है। राज्य लोक निर्माण विभाग भी सड़क हादसों को लेकर सबक नहीं ले रहा है। अंधे मोड़ों को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है। अंधे मोड़ दुरुस्त करने की योजनाएं कागजों में सिमट कर रह गई हैं।