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नियमित रक्तकोष अधिकारी न होने पर निरस्त हो सकता है ब्लड बैंक का लाइसेंस

ब्लड बैंक ऋषिकेश पर लाइसेंस निरस्त होने का खतरा मंडराने लगा है। यह खतरा यहां नियमित रूप से पैथोलॉजिस्ट का न होने से है। हकीकत यह है कि यहां तैनात पैथोलॉजिस्ट सप्ताह में तीन दिन ऋषिकेश तो तीन दिन हरिद्वार में अपनी सेवाएं दे रहे है। इस मामले में राज्य ड्रग कंट्रोलर ने संज्ञान लिया है। ड्रग कंट्रोलर की मानें तो ब्लड बैंक में यदि नियमित रूप से पैथोलॉजिस्ट नहीं है, तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। ऐसे में एक बार फिर मरीजों के लिए समस्या पैदा हो जाएगी।

राजकीय चिकित्सालय में वर्ष 2012 में ब्लड बैंक संचालित हुआ था। दो साल के सफल संचालन के बाद वर्ष 2014 में यहां पैथोलॉजिस्ट न होने के कारण इसे बंद कर दिया गया। करीब 14 माह बाद यहां पैथोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश कुमार पांडेय की रक्तकोष अधिकारी के पद पर नियुक्त की गई और ब्लड बैंक का पुनरू संचालन शुरू हो गया। नियमानुसार बिना रक्तकोष अधिकारी के रक्त नहीं दिया जा सकता है। इसके अलावा रक्तकोष के सभी कार्यों में पैैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।

इसलिए बनी समस्या
दरअसल हरिद्वार के राजकीय चिकित्सालय के ब्लड बैंक में तैनात पैथोलॉजिस्ट डॉ. रजत सैनी को मई 2019 में किन्हीं कारणों से सस्पेंड कर दिया गया। तभी से ऋषिकेश राजकीय चिकित्सालय के ब्लड बैंक में तैनात पैथोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश कुमार पांडेय हरिद्वार में सप्ताह में तीन दिन सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में न ही हरिद्वार राजकीय चिकित्सालय में नियमानुसार ब्लड बैंक संचालित हो पा रहा है और न ही ऋषिकेश में ब्लड बैंक का सही मायने में संचालन हो रहा है। ड्रग कंट्रोलर ताजवर नेगी का कहना है कि यदि सप्ताह में तीन दिन बिना पैथोलॉजिस्ट के ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है, तो ब्लड बैंक का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।

पैथोलॉजिस्ट का होना इसलिए है जरूरी
ब्लड बैंक संचालित करने के लिए केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर एवं राज्य ड्रग कंट्रोलर कार्यालय से लाइसेंस जारी किया जाता है। इनके मानकों के अनुसार ब्लड बैंक में एक पैैथोलॉजिस्ट, एक टेक्नीशियन और एक स्टाफ नर्स का होना आवश्यक है। बिना पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट के ब्लड बैंक का संचालन नहीं किया जा सकता है।