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10 करोड़ परिवारों को मिलेगा 5 लाख तक का हेल्थ बीमा

नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम यानी आयुष्मान भारत को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूदी दे दी है। इस योजना को मोदी केयर भी कहा जाता है। विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषण इस साल के बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने की थी।

कैबिनेट ने नेशनल हेल्थ मिशन को जारी रखने पर भी सहमति दी है। यह योजना 31 मार्च 2020 तक चलेगी और केंद्र सरकार इसके लिए 85,217 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इस योजना के तहत हर परिवार को पांच लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा। इसमें परिवार के सदस्यों की संख्या पर कोई रोक नहीं है। इस योजना के तहत कौन से परिवार आएंगे, इसका फैसला आर्थिक आधार पर होगा। इस योजना के दायरे में आने वाले परिवारों को सरकारी और चुने हुए प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलेगी। जो परिवार इस योजना के तहत आएंगे उन्हें इलाज की सुविधा देश भर में कहीं भी मिल सकेगी।

क्या है आयुष्मान भारत योजना

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल पेश किए गए बजट में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इसके तहत करीब 10 करोड़ परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये का मेडिकल कवर भी दिया जाएगा। साथ ही इस योजना का लाभ देश की 40 फीसदी आबादी यानी 50 करोड़ लोगों को मिलेगा। इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां भी भाग ले सकेंगी।

जेटली ने कहा था कि भारत को स्वस्थ भारत बनाया जाएगा, इसके लिए देशभर में 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे। इन स्वास्थ्य केंद्रों के खोले जाने का फायदा आम लोगों को फौरी तौर पर होगा, क्योंकि उन्हें आम बीमारियों के इलाज के लिए दूर नहीं जाना होगा और पास के इन केंद्रों से इलाज करा सकेंगे। साथ ही आरोग्य से जुड़ी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी।

शुरुआती इलाज में मिलेगा फायदा

आम लोगों को पांच लाख रुपये की बीमा का फायदा तब मिलेगा जब बीमारी बड़ी या फिर गंभीर होने की स्थिति में वह हॉस्पिटल में भर्ती होगा, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों का फायदा छोटे और बड़े हर तरह के बीमार लोगों को तुरंत मिलेगा।

नई योजना के तहत हर तीन संसदीय क्षेत्र या फिर एक राज्य में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। फिलहाल देश में निजी और सरकारी दोनों मेडिकल कॉलेजों से हर साल 67 हजार एमबीबीएस और 31 हजार पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर पास होकर निकलते हैं। ऐसे में कई नए मेडिकल कॉलेज खुलने से डॉक्टरों की कमी दूर होगी और लोगों के इलाज के लिए पर्याप्त डॉक्टर सुलभ हो सकेंगे।