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ऋषिकेशः नगर निगम के बाहर लगने वाली सब्जी मंडी का हुआ विरोध

नगर निगम के बाहर एनएच की भूमि पर सब्जी मंडी का आज विरोध किया गया। सब्जी की दुकानों के खिलाफ आज राज्यमंत्री कृष्ण कुमार सिंघल, कांग्रेस प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला, एआईसीसी सदस्य जयेंद्र रमोला, व्यापारी नेता ललित मोहन मिश्र सहित तमाम उजाड़े गए व्यापारी धरने पर बैठे। उन्होंने व्यापारियों को दोबारा यहां स्थापित करने की मांग की। वहीं, निगम प्रशासन पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का भी आरोप जड़ा।

हाईकोर्ट में स्थानीय अनिल गुप्ता ने एक जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसमें ऋषिकेश में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर याचिका की गई थी। हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश भी संबंधित विभागों को दिए थे। जिस पर एनएच विभाग द्वारा काफी विरोध प्रदर्शन के बाद ऋषिकेश हरिद्वार रोड पर पिछले 50 सालों से निर्मित पीडब्ल्यूडी ऑफिस के आगे सभी दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया था। लोग दुकान टूट जाने के बाद सड़कों पर आ गए थे। जिसके लिए लोगों ने काफी धरना प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शन भी किया था। विरोध प्रदर्शन के बावजूद भी एनएच विभाग द्वारा सभी दुकानों को तोड़ दिया गया था।

वहीं कोरोना लॉकडाउन के समय कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सुरक्षा हेतु जीवनी माई रोड पर पिछले 40 सालों से स्थापित सब्जी मंडी को हटा दिया गया था। जिसके बाद सैकड़ों सब्जी व्यापारी बेरोजगार हो गए थे।

नगर निगम के सामने नेशनल हाईवे के किनारे जो एनएच विभाग द्वारा अतिक्रमण की वजह से दुकानें तोड़कर के एनएच को खाली कराया था। वहां इन सब्जी विक्रेताओं को बैठने के लिए जगह दी गई। मगर, आज सुबह सड़क के किनारे से हटाए गए व्यापारियों और सब्जी विक्रेताओं के बीच में नोकझोंक शुरू हो गई। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि एक तरफ तो नगर निगम ने दुकानदारों को अतिक्रमण के नाम पर उजाड़ दिया। वहीं अब एनएच के किनारे सब्जी की दुकानें स्थापित करवा दीं।

उन्होंने इसे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करना बताया। इसी को देखते हुए राज्य मंत्री कृष्ण कुमार सिंघल व कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला व एआईसीसी सदस्य जयेंद्र रमोला, व्यापारी नेता ललित मोहन मिश्र आदि धरना स्थल पर बैठे और निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उधर, याचिकाकर्ता अनिल गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर ही एनएच विभाग द्वारा सड़क के किनारे अतिक्रमण हटाया गया था। यदि दोबारा अतिक्रमण कराया गया तो संबंधित विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट में जाएंगे और न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने के आरोप में विभाग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।