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वैष्णोदेवी के बाद अब हेमकुंड साहिब में भी प्रसाद का थैला होगा डिग्रेडेबल

माता वैष्णो देवी की तरह ही श्रीहेमकुंड साहिब में भी श्रद्धालुओं को डिग्रेडेबल थैले में प्रसाद दिया जाएगा। यात्रा को पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए गुरुद्वारा श्रीहेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट इस साल से यह पहल करने जा रहा है। इसके लिए उसने पूरी तैयारी भी कर ली है। यह थैला दिखने में प्लास्टिक की तरह ही होगा, लेकिन जमीन पर पड़ा रहने पर यह 180 दिन यानी छह माह में खाद में बदल जाएगा।

यह पूरी तरह सल्फर और गंध मुक्त होगा। अभी तक होता यह है कि रोक के बावजूद यात्रा पर पहुंचने वाले श्रद्धालु पॉलिथीन का उपयोग धड़ल्ले से करते हैं। इस पर रोक के लिए यह पहल की जा रही है। ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सरदार नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा के मुताबिक यात्रियों से पॉलिथीन का कोई भी सामान यात्रा मार्ग पर उपयोग न करने की विशेष अपील की गई है। ट्रस्ट का मानना है कि उसकी पहल से श्रद्धालु यहां की सकारात्मक छवि लेकर अपने यहां लौटेंगे। पिछले वर्ष श्री हेमकुंड साहिब के लिए करीब ढाई लाख श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे थे।

पहला जत्था 30 मई को होगा रवाना
चारधाम यात्रा की तरह श्रीहेमकुंड यात्रा को भी संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति की संचालित करती है। इस वर्ष काफी बर्फवारी होने के चलते एक जून से श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलेंगे। इसके लिए पहला जत्था 30 मई को रवाना होगा। रोटेशन के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बृज भानु प्रकाश गिरी ने बताया कि इस वर्ष एक जून से हर रोज गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट को चार बसें प्रदान की जाएंगी। डिमांड बढ़ने पर यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।

इन देेशों से पहुंचेंगे श्रद्धालु
श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए भारत के सभी प्रांतों के श्रद्धालुओं के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, कनाडा, बैंककॉक, न्यूजीलैंड, इटली, बेल्जियम, पाकिस्तान सहित कई देशों के श्रद्धालु दर्शन को हर वर्ष पहुंचते हैं।