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जहरीली शराब कांड के बाद नहीं बनी कोई जांच कमेटी, आरटीआई से हुआ खुलासा

हरिद्वार जिले के रुड़की में बीते आठ फरवरी को हुए जहरीली शराब कांड और इससे हुई मौतों के बाद हैरतअंगेज मामला प्रकाश में आया है। जहरीली शराब से हुई दर्जनों मौतों के बाद सरकार और शासन ने मामले की जांच करवाने का मरहम लगाने की कोशिश की थी, जो कि झूठी बयानबाजी साबित हुई है। इसका खुलासा आरटीआई के तहत उपलब्ध हुए दस्तावेजों से हुआ है। गंभीर बात ये है कि जिस जांच कमेटी का ढिंढोरा पीटा जाता रहा वह कभी गठित ही नहीं हो पाई।

इस मामले में फौरी तौर पर आबकारी विभाग के कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी हुई। इसके अलावा मामले की विस्तृत जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का दावा किया गया था। आबकारी विभाग का रवैया कितना ढींठ और लापरवाह है इसकी नई बानगी देखने को मिली है।

अधिकारी नामित किए जाने का पत्रालेख ही जारी नहीं किया
आरटीआई के तहत उपलब्ध हुए दस्तावेजों के मुताबिक जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद आबकारी निरीक्षक और उप आबकारी निरीक्षकों के सबंध में उप आबकारी आयुक्त प्रदीप कुमार को सौंपे जाने की बात कही गई थी।

इसके अलावा प्रधान आबकारी सिपाही और आबकारी सिपाहियों की भूमिका की जांच का जिम्मा सहायक आबकारी आयुक्त राजीव सिंह चौहान को सौंपने का दावा किया गया था। हकीकत ये है कि विभाग के अन्य अफसरों की लापरवाही की थाह लगाने से पहले उच्चाधिकारी खुद ही वादाखिलाफी का शिकार हो गए। दस्तावेजों के मुताबिक जांच अधिकारी नामित किए जाने का पत्रालेख ही जारी नहीं किया गया।