राज्य सरकार का पुलिसकर्मियों को तोहफा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को पुलिस लाईन में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस कार्मिकों के लिए और अधिक आवासीय भवनों के निर्माण की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस बल का मनोबल और उनकी कार्य क्षमता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें अच्छी आवासीय व्यवस्था उपलब्ध हो। भारत सरकार से अनुरोध करने के साथ-साथ राज्य सरकार के बजट से भी पुलिस कार्मिकों की आवासीय व्यवस्था को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पुलिसकर्मियों की आवासीय व्यवस्था 18 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 25 प्रतिशत है, अतः राज्य सरकार पुलिसकर्मियों की आवासीय व्यवस्था में सुधार करने हेतु प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में गोवंश तस्करी के बढ़ते मामलों की शिकायत पर पुलिस महानिदेशक को हरिद्वार के लिए एक विशेष स्क्वायड गठित करने का निर्देश दिया। पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर शहीद पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किया और वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। मुख्यमंत्री ने वीर शहीदों के परिजनों के प्रति भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित परेड की सलामी भी ली। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष पुलिसकर्मियों के कल्याणार्थ सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। पुलिस विभाग की कार्य क्षमता को बढ़ाने और कंपल्सिव करप्शन को जड़ से समाप्त करने के लिए थाना स्तर पर विभिन्न कामों हेतु 03 करोड़ की धनराशि का स्पेशल फंड बनाया गया है। पुलिस विभाग के कार्मिकों को विशिष्ट वीरता का प्रदर्शन करते समय वीरगति प्राप्त होने पर पूर्व में दी जाने वाली राशि को रुपए 10 लाख से बढ़ाकर रुपए 15 लाख कर दिया गया है। हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल स्तर के समस्त पुलिसकर्मियों को दिया जाने वाला मोटर साईकल भत्ता रू.400 से बढ़ाकर रू.1200 प्रतिमाह करने की स्वीकृति दी गई है। पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, नरेंद्र नगर और सशस्त्र प्रशिक्षण केंद्र, हरिद्वार में नियुक्त प्रशिक्षकों को मूल वेतन का 15 प्रतिशत प्रशिक्षण भत्ता अनुमन्य किया गया है। कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने और मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु 02 नए थाने और एक रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस बल “सभी को न्याय“ और “कानून के समक्ष समानता“ के आधार पर काम करें। सभी पुलिसकर्मी, पुलिस विभाग की ऐसी छवि बनाएं कि वर्दी में खड़े किसी कर्मी को देख पर्यटक और जनता अपने को सुरक्षित महसूस करें। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद और आतंकवाद की चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत में यह खतरा कुछ संगठित आतंकवादी संगठनों से है जिनसे निपटने के लिए पुलिस विभाग को हर समय सतर्क रहने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में गत वर्ष संपूर्ण भारत में कुल 379 शहीद पुलिस कर्मियों का भाव पूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी। इन शहीद पुलिसकर्मियों में उत्तराखंड के एक निरीक्षक और 06 कॉन्स्टेबल भी सम्मिलित हैं। उत्तराखंड पुलिस के जिन 07 पुलिस कर्मचारियों-अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी है उनमें कॉन्स्टेबल नरेंद्र सिंह, कांस्टेबल कलम सिंह, कॉन्स्टेबल नरेंद्र कुमार, कांस्टेबल रविंद्र सिंह कुंवर, कॉन्स्टेबल सत्येंद्र सिंह नेगी, कॉन्स्टेबल नीतीश कुमार और निरीक्षक राम कुमार जुयाल शामिल है। पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी ने बताया कि देश में शहीद हुए अधिकांश पुलिसकर्मी नक्सली, आतंकवादी और उग्रवादी घटनाओं में शहीद हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों और उनके परिवारों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस वर्ष चिकित्सा प्रतिपूर्ति के अंतर्गत कुल 392 कार्मिकों के लिए एक करोड़ 83 लाख की धनराशि का भुगतान किया गया। व्यक्तिगत बीमा योजना के अंतर्गत मृत पुलिसकर्मिकों के आश्रितों के लिए रु. 12.5 लाख का भुगतान किया गया। 29 मृतक आश्रितों को कांस्टेबल और 3 मृतक आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्त किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियों और अतिथियों ने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।