स्पीकर खंडूरी का स्टाफ संदेश के घेरे में, सरकार के खिलाफ पीआईएल के लिए लीक किये दस्तावेज

विधानसभा भर्ती मामले में हाईकोर्ट में एक संदिग्ध पीआईएल दाखिल की गई है। इस पीआईएल के जरिए राज्य की धामी सरकार को बदनाम और अस्थिर करने के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार को भी बदनाम करने की साजिश रची गई। इस पूरे मामले में स्पीकर ऋतु खंडूड़ी का विधानसभा सचिवालय के स्टाफ की भूमिका भी बेहद संदिग्ध नजर आ रही है।

इसी स्टाफ ने पीएम मोदी और सीएम धामी को बदनाम करने की नियत से पीआईएल करने वाले शख्स को महज 24 घंटे में आरटीआई में बेहद गोपनीय सूचनाएं उपलब्ध करा दी जबकि बाकी लोगों को हाईकोर्ट में चल रहे केस का हवाला देकर सूचनाएं आज तक नहीं दी गई हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह तक को समय पर सूचनाएं नहीं दी गई। ऐसे में पीआईएल करने वाले शख्स पर स्पीकर के स्टाफ की ये मेहरबानी सवालों के घेरे में है।

पूरी पीआईएल ही सवालों के घेरे में है। महीनों तक आरटीआई में जवाब न देने वाली विधानसभा का महज 24 घंटे में पीआईएल के लिए सूचनाएं देना किसी के गले नहीं उतर रहा है।

ये कैसी पीआईएल थी, जिसमें पापा और बेटी को छोड़ सभी को लपेटने की तैयारी थी। पीएम मोदी की केंद्रीय एजेंसियों तक को भी नहीं छोड़ा गया। इस पीआईएल के तार सीधे विधानसभा से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इस पीआईएल में सभी पूर्व स्पीकर को पार्टी बनाया गया था, लेकिन किसी भी पूर्व सीएम को पार्टी नहीं बनाया गया। जबकि पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी और हरीश रावत के समय भी विचलन से भर्ती को मंजूरी दी गई थी। इस पीआईएल में मौजूदा सीएम पुष्कर धामी को पार्टी बनाया, लेकिन मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूड़ी को पार्टी नहीं बनाया गया। इससे तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। साफ हो रहा है की इस पीआईएल में पूर्व सीएम और मौजूदा स्पीकर को बचाने का प्रयास किया गया।

इस पीआईएल के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने और केंद्रीय एजेंसियों के जरिए केंद्र सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई है। इस मामले को भाजपा के भीतर भी बड़ी गंभीरता से लिया जा रहा है। सवाल उठाए जा रहे हैं की आखिरकार राज्य सरकार को अस्थिर करने और सीएम को बदनाम करने का षड्यंत्र रचने वालों को विधानसभा सचिवालय में स्पीकर ऋतु खंडूड़ी का स्टाफ क्यों सपोर्ट कर रहा है। क्यों इस पीआईएल के फाइल करने के दौरान विधानसभा सचिवालय का स्टाफ और कोटार्मिनस स्टाफ कई दिनों तक नैनीताल हाईकोर्ट में ही डटा रहा। इस पूरे मामले ने कथित सत्य की देवी के झूठ और षड्यंत्र को बेनकाब कर दिया है। जिस तरह से अपने पिता और खुद को बचाते हुए अति राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण बाकी लोगों को फंसाने का कुप्रयास किया गया, उसे लेकर पार्टी भी सन्न है। राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ रचे गए इस षड्यंत्र को पार्टी बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। क्योंकि विधानसभा भर्ती मामले में पहले भी सरकार, भाजपा और आरएसएस को भी बदनाम करने की साजिश रची जा चुकी है। ऐसे में इस बार साजिश रचने वालों खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी है।