ऋषिकेश की कल्पना उत्तर प्रदेश में जज बनीं

दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र के हर पड़ाव पर सफलता हासिल की जा सकती है। तीर्थनगरी की 39 वर्षीय कल्पना पांडेय ने इस बात को साकार कर दिखाया है। उन्होंने शादीशुदा जीवन व्यतीत करते हुए न सिर्फ वकालत की पढ़ाई की बल्कि उत्तर प्रदेश हायर ज्यूडिशिल सर्विसेज (यूपीएचजेएस) की परीक्षा पास की है। फैजाबाद की मूल निवासी कल्पना पांडेय की शादी 1998 में ऋषिकेश आईडीपीएल निवासी आशीष पांडेय के साथ हुई थी। शादी के वक्त कल्पना सिर्फ 12वीं पास थी।
शादी के बाद कल्पना ने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई ऋषिकेश पीजी कॉलेज से की। उनके दो बच्चे हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करते हुए उन्होंने डीएवी कॉलेज देहरादून से एलएलबी और एलएलएम की परीक्षा हरिद्वार से पास की। वर्ष 2012 में वह सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) के पद पर तैनात हुईं। इतना हासिल करने के बाद भी उनके पैर यहीं नहीं थमे और उन्होंने जज बनने की ठानी। मेहनत और लगन रंग लाई। उन्होंने यूपीएचजेएस की परीक्षा में दो बार के प्रयास से सफलता हासिल की।

अधिकत्तर केसों में मिली सफलता
बतौर सरकारी अधिवक्ता कल्पना पांडेय की पहली ज्वाइनिंग देहरादून कोर्ट में हुई। वर्तमान में वह हरिद्वार कोर्ट में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अभी तक उनका 92 प्रतिशत केसों में सफलता प्राप्त करने का रिकॉर्ड है। एलएलबी और एलएलएम के बाद जज बनने का ख्वाब रखने वाले अधिवक्ताओं के लिए कल्पना पांडेय कहती हैं कि पढ़ाई के दौरान धैर्य बनाए रखना आवश्यक है। यदि धैर्य का अभाव है तो आपके अंदर कितनी भी प्रतिभा हो, व्यर्थ रह जाएगी। किसी भी परीक्षा में सफलता अर्जित करने के लिए निरंतर पढ़ाई करें, सदैव अपडेट रहें।

लंबित मुकदमों निस्तारण प्राथमिकता
एडीजे कल्पना पांडेय ने बताया कि उनकी हमेशा से प्राथमिकता रही है कि सही और न्याय समय पर मिल सके। एडीजे के पद पर नियुक्त होते ही उनका यह उद्देश्य रहेगा कि लंबित पड़े वादों को जल्द निपटाऊं। उन्होंने कहा कि लोगों में न्यायालय के प्रति विश्वास बना रहे, इस बात को ध्यान में रखकर काम में तीव्रता लाते हुए काम करूंगी।