भूमिधरी का अधिकार नहीं मिलने नाराज टिहरी बांध विस्थापित

विस्थापितों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि को किया यज्ञ

ऋषिकेश।
टिहरी बांध प्रभावित पशुलोक धरना स्थल पर एकत्रित हुए और राज्य सरकार की बद्धि-शुद्धि को यज्ञ किया। विस्थापित समन्वय विकास समिति पशुलोक के अध्यक्ष हरि सिंह भंडारी ने कहा कि टिहरी जनपद के एक दर्जन गांवों के तीन हजार पुनर्वासित परिवार वर्ष 2000 में पशुलोक में बसाए गए थे। लेकिन 16 साल बाद भी विस्थापितों को भूमिधरी का अधिकार नहीं मिल पाया है। विस्थापित 25 जुलाई से पशुलोक में धरने पर बैठे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
सचिव जगदमा रतूड़ी ने कहा कि क्षेत्र को राजस्व ग्राम का दर्जा न मिलने से विस्थापित सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। प्रमाण-पत्र न बनने से उनके बच्चों को रोजगार के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है। इसलिए सरकार को जल्द क्षेत्र को भूमिधरी का अधिकारी देने के आदेश करने चाहिए। कार्यक्रम में प्रवीण थपलियाल, मनीष मैठानी, संजय थपलियाल, अरुण कांत बिजल्वाण, गणेश बिजल्वाण, वीरेंद्रदत्त जोशी, सूरत सिंह राणा, कुशलानंद भट्ट, प्रताप सिंह, प्रताप पंवार, शूरवीर सिंह, युद्धवीर सिंह, रमेश सिंह, जनार्धन प्रसाद, शिवकुमार, गिरीश उनियाल आदि शामिल थे।
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वनभूमि बना भूमिधरी में रोड़ा
वनभूमि के चलते भी भूमिधरी का अधिकार मिलने में परेशानी आ रही है। पुनर्वास निदेशालय की लापरवाही एवं शासन की अनदेखी के चलते भूमिधरी का अधिकार नहीं मिल पाया है। जबकि 2005 में मुख्य संरक्षक वन ने पुनर्वास निदेशालय को शासन स्तर पर आदेश जारी करवाने को कहा था। लेकिन शासन की अनदेखी के चलते समस्या का निदान नहीं हो पाया है।