निजी स्कूलों में फीस निर्धारिण को सरकार ने तैयार किया रेग्युलेशन ऑफ फीस

राज्य के निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए सरकार ने उत्तराखंड सेल्फ फाईनेंस्ड इंडिपेंडेंट स्कूल (रेग्युलेशन ऑफ फीस) एक्ट तैयार कर लिया है। इसके तहत राज्य सरकार प्री-प्राइमरी से लेकर सीनियर सेंकेंडरी की कक्षाओं का अधिकतम शुल्क निर्धारित होगा। हर जिले में फीस निर्धारण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में छह सदस्य समिति बनाई जाएगी। यह समिति फीस को लेकर स्कूलों की आपत्तियों का निस्तारण करेगी। इस समिति का कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा। इसके निर्णयों के विरुद्ध राज्य स्तरीय अपीलीय प्राधिकरण में जा सकता है। छह सदस्य प्राधिकरण सचिव विद्यालयी शिक्षा की अध्यक्षता में गठित किया जाएगा। इस एक्ट में अधिक फीस वसूलने की शिकायत पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। इस एक्ट को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा मंत्री ने सभी से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके बाद इसे अमली जामा पहनाते हुए कैबिनेट में लाया जाएगा।

सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बुधवार को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में फीस एक्ट के संबंध में अधिकारियों के साथ चर्चा की। फीस एक्ट के संबंध में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री ने बताया कि फीस एक्ट को अगले शैक्षणिक सत्र से लागू कराने की तैयारी है। इसके लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इसके तहत स्कूलों में फीस का निर्धारण सरकार करेगी। जो भी विद्यालय इससे असहमत होंगे वे सत्र प्रारंभ होने से तीन माह पूर्व तक शुल्क निर्धारण के संबंध में अपना प्रत्यावेदन जनपद स्तर पर गठित फीस नियंत्रण समिति को देंगे। यह समिति आवेदन प्राप्त होने के बाद शुल्क का पुनर्निर्धारण करेगी। समिति अनियमितताओं की शिकायत का भी निस्तारण करेगी। जनपद स्तरीय समिति के निर्णय के विरुद्ध राज्य स्तरीय विनियामक प्राधिकरण में अपील दायर की जा सकेगी। यह प्राधिकरण एक सप्ताह के भीतर प्रकरण को निस्तारित करेंगे। सत्र शुरू होने से पहले सभी स्कूल अपनी फीस का विवरण वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से प्रकाशित करेंगे।

इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस
– कोई भी स्कूल एडवांस के रूप में फीस की वसूली नहीं कर सकेंगे।

– कोई भी स्कूल अपने परिसर में व्यावसायिक गतिविधि नहीं करेंगे यानी ड्रेस और किताब कॉपी नहीं बेच सकेंगे।

– कोई भी स्कूल बिना जिला स्तरीय समिति के अनुमोदन के ड्रेस में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे।

दंड का प्रावधान

एक्ट में अधिक फीस वसूले जाने की स्थिति में दंड का भी प्रावधान किया गया है। इसके तहत पहली बार शिकायत सही पाए जाने पर एक लाख रुपये, दूसरी बार शिकायत सही पाए जाने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी बार शिकायत सही पाए जाने पर मान्यता समाप्ति अथवा अनापत्ति वापस लेने की कार्यवाही की जाएगी।

जनपद स्तरीय फीस नियंत्रण समिति
जिलाधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी द्वारा नामित चार्टेड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग का अधिशासी अभियंता, जिलाधिकारी द्वारा नामित कोई अभिभावक, जिलाधिकारी द्वारा नामित किसी विद्यालय का प्रबंधक व प्रधानाचार्य

राज्य विनियामक प्राधिकरण
सचिव, विद्यालयी शिक्षा, शिक्षा निदेशक, शिक्षा सचिव द्वारा नामित चार्टेड अकाउंटेंट, लोक निर्माण विभाग का अभियंता, सचिव द्वारा नामित अभिभावक और सचिव द्वारा नामित किसी विद्यालय का प्रबंधक व प्रधानाचार्य।