हैदराबाद की महिला जेल के एक कदम ने जेल काट चुकी औरतों की जिंदगी बदल दी है। नौकरी सिर्फ 12 हजार रुपये की है लेकिन जेल से सजा काटकर लौटी औरत के लिए यह रकम भी बहुत अधिक है। गोदावरी आज खुश है क्योंकि अब वो अपने बच्चों को अपने पास रख सकेगी। उन्हें एक अच्छी जिंदगी दे सकेगी क्योंकि उसे एक नौकरी मिल गई है। पति की हत्या के आरोप में वो 6 साल जेल में रहीं। डेढ़ साल पहले जेल से छूटी तो ज्यादातर लोगों ने काम देने से मना कर दिया।
होटल और छोटी-मोटी दुकानों में बर्तन धोने, सफाई करने का काम मिला लेकिन इज्जत नहीं। गोदावरी और उन जैसी सैकड़ों ऐसी औरतें हैं जिन्होंने कघनून की सजा तो पूरी कर ली लेकिन समाज उन्हें अपराधी ही मानता है। गोदावरी और जेल से सजा काटकर लौटी औरतें अपनी आगे की जिंदगी इज्जत और आत्म-निर्भरता के साथ बिता सकें। इसके लिए हैदराबाद की महिला जेल ने एक सराहनीय कदम उठाया है।
जेल प्रशासन ने गोदावरी और उन जैसी 24 दूसरी महिलाओं को पेट्रोल पंप पर काम करने के लिए तैयार किया। इन औरतों को 10 दिनों से ट्रेनिंग दी और उसके बाद पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में केवल महिलाओं द्वारा संचालित इस पेट्रोल पंप का उद्घाटन भी हो गया।
डीजी जेल वीके सिंह का कहना है कि जब औरतें जेल से निकलती हैं तो न तो उन्हें उनका परिवार अपनाता है और न ही यह समाज स्वीकार करता है। ऐसे में कुछ औरतें जहां भीख मांगने तक को मजबूर हो जाती हैं वहीं कुछ दोबारा से अपराध के रास्ते पर चली जाती हैं।
Jul82017