गौहरीमाफी में बाढ़ के चलते राशन और ईंधन सिर पर ढ़ोने को मजबूर लोग

गौहरीमाफी के लोगों के लिये जिंदगी किसी संघर्ष से कम नहीं है। यहां लोग बाढ़ के बीच में ही राशन और खाने-पीने की वस्तुएं सिर पर ढोने को मजबूर है। हालांकि जलस्तर कम होने से कुछ राहत मिली है पर नदी में आवागमन करते समय कई जगह गड्ढों की वजह से यह जोखिम भरा है।

शुक्रवार को गांव की तरफ आ रही नदी की धारा को पूरी तरह डायवर्ट कर दिया गया। इसका असर यह हुआ कि लोग पैदल नदी से आर-पार जा पा रहे हैं। लेकिन रपटे बहने व सड़के टूट जाने से वाहनों का आवागमन शुरू नहीं हो पाया। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता एसएस ममगाईं ने बताया कि जेसीबी से लगातार वर्क किया जा रहा है। फिलहाल गांव की तरफ आ रही नदी की धारा को डायवर्ट तो कर दिया गया है लेकिन यह अस्थायी उपाय है। अभी राहत कार्य जारी रहेंगे। जल्द ही तार-जाल भी डाले जाएंगे ताकि कटाव को रोका जा सके।

वहीं मौसम साफ रहने से लोगों को राहत जरूर मिली है लेकिन बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं। नदी का जलस्तर घटने से चारों तरफ बाढ़ के गहरे जख्म साफ दिखाई देने लगे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान सड़के व खेतों को पहुंचा है। नदी का जलस्तर घटते ही लोग दैनिक जरूरत का सामान जुटाने निकल पड़े। सड़कें व रपटे टूटे होने की वजह से वाहनों का आवागमन अभी संभव नहीं है। लोगों ने सिर राशन व ईंधन सिर पर रख कर अपने घर तक पहुंचाया। बता दें कि बीते 16 दिन से बाढ़ में घिरे गौहरीमाफी के 300 परिवारों का तहसील से सड़क सम्पर्क पूरी तरह कटा हुआ है।

गांव के आंतरिक मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। तिब्बती कालोंनी के पास सड़क व रपटा बह गया है। आनंदमयी स्कूल के पास टिहरी फार्म एक नंबर को जोड़ने वाला कांजवे और बारात घर के पास पुलिया व सड़क टूटी हुई है। कई खेत नदीं में समा गए है। कई घरों के भीतर व आंगन में मिट्टी व मलवा जमा हो गया है। वहीं एसडीआरएफ की टीम भी वापस लौट गई। ग्राम प्रधान सरिता रतूड़ी ने बताया कि मौसम साफ रहने से लोगों को राहत मिली है। लेकिन सड़कें टूटी हुई हैं। इनकी जल्द मरम्मत की जरूरत है, ताकि वाहनों की आवाजाही शुरू हो सके। उन्होंने बताया कि बिजली के 18 पोल बह गए हैं। हालांकि आपूर्ति बनाए रखने के लिए ऊर्जा निगम ने वैकल्पिक इंतजाम किए हैं।