अब व्यापारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने पर छूट

केंद्र सरकार के इशारे पर शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में सर्राफा कारोबारियों को लेकर बड़ा फैसला हुआ है। साथ ही छोटे कारोबारियों को भी सरकार ने राहत दी है। काउंसिल ने कम्पाउडिंग स्कीम के नियमों में बदलाव करते हुए सीमा बढ़ा दी है। कम्पाउडिंग स्कीम की सीमा 75 लाख से 1 करोड़ कर दी गई है। साथ ही व्यापारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने की छूट दी गई है।
सर्राफा कारोबारियों को भी राहत दी गई है। अब 2 लाख रुपये की तक की खरीदारी पर पैन देना जरूरी नहीं होगा, पहले 50 हजार रुपये से ज्यादा की खरीदारी पर पीएएन देना अनिवार्य था।
वहीं डेढ़ करोड़ रुपये तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने की छूट दी गई है। पहले हर महीने रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान था।
काउंसिल की बैठक में शामिल बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा कि पीएमएलए एक्ट से सर्राफा कारोबार को बाहर कर दिया है। अब डेढ़ करोड़ टर्नओवर वाले व्यापारी तीन महीने में रिटर्न दे सकते हैं। साथ ही रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को 31 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है।
क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?
जीएसटी के जरिए वैल्यू ऐडड टैक्स (वैट) की बेकार हो चुकी कर प्रणालू को बदलने का कदम उठाया जा चुका है, लेकिन बीते तीन महीनों के दौरान देश में छोटे-बड़े कारोबारियों को इस नई कर व्यवस्था के तहत जाने में बड़ी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे।
जीएसटी में बदलाव को लेकर मोदी ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि जीएसटी लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार जीएसटी कानून में बड़े फेरबदल करने की पक्षधर है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कारोबार को राहत पहुंचाने और नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को जल्द से जल्द ट्रैक पर बैठाने के लिए उन सभी अड़चनों को हटाने की पहल की जाएगी जिससे कारोबारियों को परेशानी हो रही है।
क्यों सुधार चाहती है सरकार
जीएसटी को सामान्य होने में कम से कम छह महीने से एक साल का समय लगेगा। जीएसटी के सफल क्रियान्वयन के साथ ही भारत बड़ी आर्थिक शक्तियों के समूह में शामिल हो जाएगा और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा। लिहाजा, केन्द्र सरकार जल्द से जल्द जीएसटी कानून में सुधार कर इसे वन नेशन वन टैक्स के लिए पूरी तरह से तैयार करने जा रही है।