शराब कांडः मृतकों को डेंगू पीड़ित बताकर पिंड छुड़ाना चाहती थी पुलिस!

जहरीली शराब कांड के सामन के आने के बाद पता चला कि 30 घंटे तक घटना में पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा था। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की पुलिस ने जहमत भी नहीं उठाई। ऐसे में मृतकों के परिवारजन शवों का अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया और आनन-फानन में दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हैरत की बात है कि राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की कोशिशों में जुटी रही।
यहां तक की जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणेश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे।
शहर के बीचों-बीच हुए इस घटनाक्रम के 30 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान रही। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई। पथरिया पीर कांड ने सरकार से लेकर प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया। इसके गुनाहगार कौन थे, इन्हें पनाह कौन दे रहा था, यह सामने आना अभी बाकी है। इस बीच, सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल शिशुपाल सिंह नेगी, धारा चैकी इंचार्ज कुलवंत सिंह, आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने दो आबकारी निरीक्षकों शुजात हसन व मनोज फत्र्याल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने कोतवाली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था कि इलाके में अवैध तरीके से शराब बेचे जाने की एक नहीं कई बार शिकायत की गई थी,। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इस प्रकरण में सीओ सिटी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की भूमिका की जांच एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल को सौंपी गई है। यह भी देखा जा रहा है कि शराब कहां से आती थी और कैसे बेची जाती थी? क्या वाकई में इलाकाई पुलिस को इस बात की जानकारी थी। इसके लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज से लेकर कॉल डिटेल रिकार्ड तक चेक किए जाएंगे। जो भी दोषी होगा, वह किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के नेशविला रोड में जहरीली शराब के सेवन से हुई जनहानि पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी व आबकारी आयुक्त को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर शीघ्र कारवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक स्वास्थ्य व सीएमओ देहरादून को चिकित्सालयों में भर्ती लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया है।