जीएमवीएन में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में पहुंचे संत मूजी

ऋषिकेश।
योग महोत्सव के चौथे दिन महान संत मूजी के आगमन से गंगा रिसॉर्ट ऊर्जावान हो गया। योग परिसर में उनके आते ही साधकों के चेहरे खिल उठे। आते ही उन्होंने मुस्कराते हुए साधकों से मुलाकात की। उसके बाद अपने व्याख्यान में जीवन में योग का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि तप करने से भी ईश्वर नहीं मिलते यदि उसमें ध्यान न शामिल हो। सबसे पहले मनुष्य को अपने आप को जानना है। इसमें योग विधियां सबसे अधिक कारगर हैं। इससे पहले योगाचार्या तारा ने साधकों को योग और प्राणायाम का अभ्यास कराया। योगाचार्य श्रीनिवासन ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि धारणा, ध्यान, समाधि और संयम ही योग है। उन्होंने कहा कि योग एक दिन में सीखने का विषय नहीं। यह निरन्तर साधना और अभ्यास से सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अपनी इन्द्रियों पर संयम कर साधक आत्म उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होता रहता है। योग साधना से कोशिकाओं का पोषण होता है और उन्हें पुनर्जीवित किया जाता है। योगाचार्य स्वामी सुर्येन्दु पुरी ने कहा कि योग व्यक्ति में आत्मबल और इच्छाशक्ति को मजबूत करता है। योग साधक अपने आत्म संयम से सांसारिक मोह माया और अन्य विकृतियों से दूर रहकर आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त कर देता है। डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने आयुर्वेद की उपयोगिता के बारे में अपने विचार रखे। उधर, गुमानीवाला में स्वामी योगानंद आश्रम में नि:शुल्क योग शिक्षा दी जा रही है जिसमें 80 छात्र-छात्राओं को योग की विभिन्न विधियों से अवगत कराया जा रहा है।