बच्चेदानी के कैंसर से बचने को नौ से 14 वर्ष की आयु में बालिकाओं को लगानी चाहिए वैक्सीनः एम्स

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में महिलाओं में होने वाले सर्विक्स कैंसर के मामलों को लेकर चिंतित है। जिसके मद्देनजर संस्थान की ओर से कोविडकाल में वेबिनार के माध्यम से महिला जनजागरुकता अभियान शुरू किया जा रहा है। जिसके मद्देनजर 17 नवंबर को अपराह्न 2 से 3 बजे पहला वेबिनार आयोजित किया जाएगा। जिसमें डब्ल्यूएचओ एक्सपर्ट डा. आर शंकरनारायणन समेत देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, चिकित्सा विशेषज्ञ, एनएचएम के वरिष्ठ प्रतिनिधि व मेडिकल हेल्थ एंड फेमिली वैलफेयर उत्तराखंड के सदस्य शिरकत कर सामूहिक चर्चा करेंगे। चिकित्सकों का कहना है कि भारत में सर्विक्स कैंसर (बच्चेदानी के मुहं का कैंसर ) के मामले काफी अधिक हैं।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर (सर्विक्स कैंसर) पर शत-प्रतिशत नियंत्रण संभव है, बशर्ते बालिकाओं को 9 से 14 वर्ष की उम्र के बीच इस कैंसर की रोकथाम के लिए वेक्सीन अनिवार्यरूप से लगाई जाए। उन्होंने बताया कि महिलाओं में पाया जाने वाला सर्विक्स कैंसर ही एक ऐसा कैंसर है जिसका पूर्ण उपचार संभव है। बताया कि बालिकाओं व महिलाओं को अधिकतम 26 वर्ष की उम्र तक बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिए वेक्सीन लगाई जा सकती है। मगर 14 वर्ष से अधिक उम्र में वेक्सिनेशन अपेक्षाकृत कम असरकारक होता है।

बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर को समाप्त करने के लिए 90 प्रतिशत तक बालिकाओं में अनिवार्य वेक्सिनेशन और 70 प्रतिशत महिलाओं में इस कैंसर से बचाव के लिए जीवन में 35 से 45 वर्ष की उम्र के बीच कम से कम दो बार सर्विक्स कैंसर की विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच का लक्ष्य निर्धारित किया है। उनका कहना है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए 9 से 14 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं में वेक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त होती है।

एम्स के महिला रोग विभाग की कैंसर विशेषज्ञ डा. शालिनी राजाराम ने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष सर्विक्स कैंसर के करीब एक लाख मामले सामने आते हैं। उन्होंने बताया कि करीब 10 वर्ष पूर्व देश में सर्वाधिक मामले महिलाओं की डिलीवरी के समय मृत्युदर के आते थे, जिसमें प्रतिवर्ष करीब 72 हजार का आंकड़ा था, मगर सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए विघ्भिन्न स्तर पर जनजागरुकता मुहिम चलाई गई, जिससे इस तरह की मृत्युदर में काफी कमी आई है।

कार्यक्रम में इसके अलावा एनएचएम, उत्तराखंड की निदेशक डा. अंजलि नौटियाल व नेशनल प्रोग्राम मेडिकल हेल्थ एंड फेमिली वैलफेयर, उत्तराखंड की निदेशक डा. सरोज नैथानी भी प्रतिभाग करेंगी।

यह हैं महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर के लक्षण-
महिलाओं की बच्चेदानी से रक्तस्राव, महिलाओं में संभोग के बाद बच्चेदानी से खून आना, बच्चेदानी से बदबूदार पानी का निकलना आदि। ऐसे लक्षण पाए जाने पर महिलाओं को तत्काल अस्पताल में इसकी जांच करानी चाहिए व विशेषज्ञ चिकित्सका का परामर्श लेना चाहिए, साथ ही सर्विक्स कैंसर की रोकथाम के लिए वेक्सीन अनिवार्यरूप से लगानी चाहिए।