माहमारी के दौर में दया, प्रेम और सहानुभूति के डोज की जरूरतः रवि शास्त्री

शंकराचार्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष पंडित रवि शास्त्री ने कहा कि कोराना की इस दूसरी लहर से पूरा देश बेहाल है।इस वैश्विक महामारी के खौफ के चलते इसका नाम सुनते ही लोग तनावग्रस्त हो जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एक अदृश्य वायरस के कारण जो लोग तनावग्रस्त हैं उससे उबरने के लिये करुणा, दया, प्रेम, संवेदना और सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों की जरूरत है। इस समय एकदूसरें की तकलीफों और दुखों को समझने के साथ ही उन्हें उस दुख या तकलीफ से निकालने के लिये प्रयत्न करने की जरूरत है।कहा कि ,भारतीय दर्शन में तो करुणा और दयालुता को मनुष्य का पहला और अन्तिम गुण बताया गया है। करुणा रूपी दिव्य गुण से एक-दूसरे से जुड़ने और दूसरों को समझने में सहायता होती है। करुणा, एक ऐसा दिव्य गुण है जो किसी मनुष्य को उसकी चेतना के सामान्य स्तर से ऊपर उठाकर उसे सेवा कार्य करने को प्रेरित करता है।

पंडित रवि शास्त्री के अनुसार यह समय दूसरों की पीड़ा को महसूस करने और मदद करने का है। कोरोना एक संदेश देने आया है, वास्तव में देखा जाये तो वह एक ऐेसा दूत बनकर आया है जो लोगों को मानवता से रहना सिखा रहा है। कोरोना से करूणा की ओर बढ़ना सिखा रहा है। हम जो संस्कृति भूल गये थे, अभिवादन के तरीके भूल गये थे वह हमें एक अद्श्य वायरस सिखा रहा है। लोग दुनियादारी के चक्कर में स्वयं को भूल गये थे, परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे, मानवीय मूल्यों और मूल से भटक गये थे। आज कोरोना ने वापस सभी को उसी संस्कृति के पास लाकर खड़ा कर दिया है।