वेदों से ही हुई है ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों की उत्पत्तिः पंकज कलखुड़िया

बाबा रामदेव के आईएमए के विवादित बयान के बाद अब ज्योतिष जगत के प्रति दिये गये कड़वे बयान पर भारत के प्रसिद्ध अंकज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पिथौरागढ़ निवासी पंकज कलखुड़िया ने अपनी बात रखी है।

उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव स्वयं से ज्योतिष को मानते हैं, पर आर्य समाज को मानने के कारण वह इसे दर्शाते नहीं है। 2019 में देहरादून में हुई एक मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि एक कांफ्रेस में उनकी मुलाकात हुई। उस दौरान भी रामदेव ने ऐसा ही बेतुका बयान जारी किया था। इस पर मेरे द्वारा विरोध किया गया तो आचार्य बालकृष्ण ने मध्यस्थता स्थापित कर उस समय विवाद को टाल दिया था। उन्होंने कहा कि ज्योतिष और योग एक दूसरे के अभिन्न अंग है क्योंकि जो ज्योतिष को नहीं मानता वो वेदो को कैसे मान सकता है, ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों ही वेदों की उत्पत्तियां है, वेद के छः अंग है, शिक्षा,कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष, अर्थात ज्योतिष वेद का अंग है और ज्योतिष वेद बिना नेत्रों के समान है, जो ज्योतिष को नकारता है वह वेदो को भी नकारता है और हिन्दुत्व को भी नकारता है, क्यों वेदों पर हिन्दुत्व की आस्था है, एक ओर खुद का कार्य उन्हें बेहतर लगता है तो दूसरी ओर वह औरों के कार्य को इंडस्ट्री कहते हैं, बाबा ने सबसे पहले खुद के गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए, एक बाबा होकर कपड़े और राशन बेचना क्या योग का हिस्सा है।

उन्होंने बाबा रामदेव को शास्त्रार्थ हेतु खुली चुनौती दी है। ज्योतिष के प्रति उनके इस दोहरे रवैए को ज्योतिष जगत कभी माफ नहीं कर सकता है, एक ओर बाबा रामदेव जैसे लोग ज्योतिष को बदनाम कर रहे हैं तो दूसरी और आचार्य बालकृष्ण जैसे लोग ज्योतिष जगत की शरण में रहते हैं।