देश में सेना के जवान सुरक्षित नहींः स्वामी निश्चलानंद

पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि देश में आम आदमी की सुरक्षा के लिये शरहद पर सेना के जवान सदैव मुस्तैद रहते है। मगर, इन सैनिकों की सुरक्षा के लिये क्या किसी ने सोचा है। हमारे सैनिक स्वयं सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस दिन सेना का सब्र टूट गया तो देश में पाकिस्तान की जैसी स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

हिंदू जागरण मंच की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में पुंरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि आज राजनैतिक दल वोटों की राजनीति के कारण पाकिस्तान जैसे गंभीर मुद्दे को हल्के में ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में जवानों की पाक पोषित आतंकवादी और पाक सैनिक निर्मम हत्या कर रहे हैं। इन दलों की कार्यप्रणाली के कारण अपने देश में ही सैनिक सुरक्षित नहीं हैं।

सेना पर पत्थरबाजी की घटना पर शंकराचार्य ने कहा कि आम आदमी को देश में आत्मरक्षा का अधिकार है तो कश्मीर में सैनिकों को यह अधिकार क्यों नहीं। इन हालातों में अगर हमारी सेना का सब्र टूटा तो देश के हालात पाकिस्तान जैसे हो जाएंगे।

आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने देश की मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा वर्षों से लटका है, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 अब तक लागू है। शंकराचार्य ने कहा कि भारत देश ने मुस्लिम समाज के कई लोगों को राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, राज्यपाल और मंत्री बनाया। मगर बांग्लादेश व पाकिस्तान बताए कि कितने हिंदुओं को उच्च पदों पर बिठाया गया। यह हमारी उदारता है, इसे कमजोरी न समझा जाए।

उन्होंने गो हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज कोई भी राजनैतिक दल ऐसा नहीं है जो गो हत्या रोकने के लिए एक स्वर से प्रस्ताव पारित कर सके। इन कारणों से गोवंश संकट में है। गो हत्या पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह भी गो हत्या रोकने में असफल नजर आ रहे हैं। यूपी में सैकड़ों अवैध बूचडखाने चल रहे हैं।

देश में शंकराचार्यों की बाढ़

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मान्यता के मुताबिक चार पीठ के चार शंकराचार्य परंपरानुसार हैं। मगर, आज देश में शंकराचार्यों की जो बाढ़ आई है, इन्हें पनपाने वाले देश के राजनैतिक दल हैं। शंकराचार्यों की ओर से विश्व का ध्यान भटकाने के लिए अंग्रेजों ने साधारण लोगों को महात्मा, आचार्य और महर्षि के रूप में स्थापित किया। आजादी के बाद राजनैतिक दलों ने इस तरह के शंकराचार्यों को बढ़ाया। भारत साधु समाज के नाम से यह काम किया गया। कहा कि इन कथित शंकराचायों की पहचान, भाजपायी, कांग्रेसी व सपाई शंकराचार्यों के रूप में होती है।