एनिस्थिसिया की नई तकनीक पर मंथन

देशभर के 200 से ज्यादा डॉक्टर व शोधार्थी जुटे

डोईवाला।
शनिवार को सेंट्रल जोन ऑफ इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थिसियालॉजिस्ट (सीजेडआईएसएकॉन 2016) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी (एसआरएचयू) में हुआ। कांफ्रेस में एनिस्थिसिया की नई तकनीक पर मंथन को देशभर से एनिस्थिसियालॉजिस्ट जुटे।
एसआरएचयू-हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के एनिस्थिसियोलॉजी विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज सभागार में कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने किया। उन्होंने कहा कि समय के साथ एनिस्थिसिया की तकनीकों में बहुत बदलाव हुआ है। कॉन्फ्रेंस का मकसद एक्सपर्ट के अनुभव को सीखना है। जिससे इलाज के दौरान मरीज को इसका फायदा मिल सके। इंडियन सोसायटी ऑफ एनिस्थिसियालॉजिस्ट के सेक्रेटरी डॉ. केवैंकट गिरी ने बताया कि एनेस्थीसिया विशेषज्ञों की भूमिका अब ऑपरेशन थियेटर में मरीजों को बेहोश करने तक सीमित नही है। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ ऑपरेशन से पहले और बाद में भी मरीज के साथ रहते हैं, ताकि मरीज की जान को कोई खतरा न हो।

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वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि एनेस्थेटिक स्पेशलिस्ट की संख्या बढ़े जिससे मरीजों के ऑपरेशन की वेटिंग लिस्ट खत्म हो सके। योजना समिति की चेयरपर्सन डॉ. गुरजीत खुराना ने बताया कि सीजेडआईएसएकॉन 2016 की थीम ‘सेफ्टी एंड क्वालिटी इन एनिस्थिसिया’ है। कांफ्रेस में उत्तरखंड, केरल, तमिलनाडु, भोपाल, लखनऊ, कानपुर, चंडीगढ़, इंदौर, जबलपुर, मेरठ, कानपुर, छत्तीसगढ़ से करीब 200 से ज्यादा डेलीगेट शामिल हुए। मौके पर डॉ.जेपी शर्मा, डॉ. ललित मेंहदीरत्ता, डॉ. विरेंद्र शर्मा, डॉ. महेश सिन्ह, डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. वाईएस पयाल, डॉ. पारुल जिंदल, डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. वीना अस्थाना, डॉ. निधि, डॉ. दिव्या, डॉ. रोहन, डॉ. प्रिया, डॉ. पूनम, डॉ. अभिमन्यु, डॉ. अंशुमन, डॉ. हरीश, डॉ. नंद किशोर, डॉ. आस्था आदि मौजूद थे।