आखिर कैसे आ गए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार निशाने पर?

एक समाचार पत्र में एक खबर आने के बाद और फिर कुछ सोशल मीडिया साइडों में उत्तराखंड मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भटट के खिलाफ एक समाचार प्रचारित किया जा रहा है। जो प्रमुख रुप से जमीन से जुड़ा मामला है। इसमें रमेश भटट को जिस प्रकार से खलनायक बनाया जा रहा है। उससे मीडिया जगत के लोग भी हैरान हो गये है।
वहीं, रमेश भटट ने सोशल मीडिया में सार्वजनिक रुप से मामले की जांच करने मांग की है। उन्होंने कहा है कि समाचार भ्रामक और असत्य है। उन्होंने सभी मीडिया जगत को जांच करने और जांच पूरी ना होने तक एक पूर्व मीडियाकर्मी होने के नाते सत्य का साथ देने की वकालत की है।
बरहाल इन सबके बीच उनकी सोशल मीडिया की पोस्ट पर कई मीडियाकर्मियों के पोस्ट पढ़ने को मिले है। अधिकत्तर लोगों ने आरोप लगाने वालों को ही कटघरे में खड़ा किया है। पोस्ट में एक यूजर ने लिखा है कि हल्द्वानी निवासी जानते है कि जमीन पर अवैध कब्जे किस आदमी के है? उन्होंने लिखा है कि अपने स्वार्थ के लिए ऐसे ही किसी पर आरोप नही लगाने चाहिये।
वहीं, दूसरा यूजर लिख रहा है कि आय से अधिक के मामले वाले अब दूसरों पर आरोप लगाने लगे हैं। एक अन्य यूजर लिख रहा है कि बेनामी संपत्ति का खेल खेलने वाले अब दूसरों पर आरोप लगाने लगा रहे है? एक अन्य यूजर ने रमेश भटट को टारगेट करने के पीछे का कारण राजनीतिक बताया है। उसने लिखा है कि लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर एक युवा को जनसेवा की जिम्मेदारी मिली और वह उस पर खरा भी उतर रहा है। इसी की बदौलत लोग उसे भविष्य में भीमताल के विधायक के रुप में देख रहे है। इस लिए उन्हें एक विशेष तबके के द्वारा शिकार बनाया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि तो दर्जनों मुकदमें किस पर दर्ज है। वह कैसे दूसरे पर आरोप लगा सकता है?
वही हमने रमेश भटट से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन नही उठा। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने सरकार के मुखिया से जाँच के लिए निवेदन किया है। जिसमें जाँच होने के बाद भूमाफिया का सत्य उजागर होने की बात कही जा रही है। साथ ही उनके द्वारा कुछ बिंदुओं पर भी जाँच की माँग की गई है?

मीडिया सलाहकार रमेश भटट की फेसबुक पोस्ट को पाठकों के लिए अक्षरतः लिखा गया है-
सोशल मीडिया में, कुछ न्यूज पोर्टल में मुझसे जुड़ा एक समाचार तैर रहा है। उसके बारे में बाद में बताऊंगा, पहले स्पष्ट कर दूं कि यह समाचार असत्य है, भ्रामक हैं और इसका सच्चाई से कुछ भी लेना देना नहीं है। किसी पर आरोप लगाकर किसी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा कुछ समय के लिए प्रभावित की जा सकती है, लेकिन सत्य, सत्य होता है। आरोप लगाना और प्रमाणित करना दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।
मैं एक स्वच्छ छवि के राजनेता की टीम का सदस्य हूं और अपनी व्यक्तिगत तथा सामाजिक जिम्मेदारियों को बखघ्बी जानता हूं। खबरों में मुझ पर जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया गया है। मेरे जानने वाले मित्रों, शुभचिंतकों के लिए यह हास्यास्पद के अतिरिक्त कुछ नहीं है। मैं सामान्य पृष्ठभूमि से आता हूं, आरोप लगाने वाले सज्जनों की पृष्ठभूमि भी खंगाल ली जानी चाहिए कि कौन इन कृत्यों का पेशेवर और माहिर हैं, किन पर गैरकानूनी कब्जे, सैंकड़ों मुकदमे,आय से अधिक के साथ साथ बेनामी संपत्ति के आरोप हैं।
मेरा अपने सभी मित्रों से विशेषकर मीडिया के मित्रों से एक मूलतः मीडियाकर्मी होने के नाते अनुरोध है। पूरे प्रकरण में सच्चाई का साथ दें। आरोप लगाने वाले सज्जनों का आभार प्रकट करूंगा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से मुझे परीक्षण हेतु चुना। दूध का दूध और पानी का पानी होने तक प्रतीक्षा करें, मैंने स्वयं जांच का अनुरोध किया है। जाँच जारी है।