जन शिकायतों में देरी या ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई

उत्तराखंड सरकार ने 2017 के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के साथ सुशासन को अपने शीर्ष एजेंडे में रखा है। इसके लिए सरकारी कामकाज और सेवाओं को सुधारने को प्राथमिकता दी गई है। उत्तराखंड के जिलों में ई-गवर्नेंस का क्रियान्वयन प्रारंभ किया जा चुका है। राज्य स्तर पर प्रारंभ की गई सुशासन की योजनाओं की अब मुख्यमंत्री खुद मॉनीटरिंग करेंगे। इसके लिए सीएम डैश बोर्ड को ज्यादा दुरुस्त किया जा रहा है। यह पहली बार होगा कि डैश बोर्ड पर विभागों के कामकाज को लेकर जनता की शिकायतों और सुझावों को दोनों को शामिल किया जा रहा है। इसकी बड़ी वजह विभागों में जन समस्याओं के समाधान को लेकर की जा रही कार्यवाही का सच मुख्यमंत्री के सामने रहे। इसमें पहली बार जवाबदेही भी तय की जा रही है।
इसी वजह से सीएम डैश बोर्ड और सीएम हेल्पलाइन को जोड़ने का निर्णय लिया गया है। इस हेल्पलाइन में आम आदमी जन सेवाओं से जुड़े विभागों से संबंधित शिकायतों को दर्ज कराता है। हेल्पलाइन में शिकायतों के निवारण के लिए समयबद्ध व्यवस्था की गई है। डैश बोर्ड से जुड़ने के बाद हेल्पलाइन में दर्ज होने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर विभागों के स्तर पर की जाने वाली तैयारी और सतत रणनीति भी सामने आएगी।
सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा ने बताया कि सीएम डैश बोर्ड से जुड़े विभागों ने जन सुझावों पर अमल और शिकायतों का त्वरित निराकरण नहीं किया तो उनकी वार्षिक प्रविष्टियों में रेड एंट्री होगी। ऐसे में संबंधित अधिकारियों को जन शिकायतों में देरी या ढिलाई बरतने का दोषी पाया गया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही डैश बोर्ड पर 50 फीसद से कम प्रगति वाले विभागों को डैश बोर्ड से स्वतः पत्र जारी किए जाएंगे।