हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब अनुबंधित स्कूली बसों का टैक्स होगा आधा

परिवहन विभाग ने स्कूलों में अनुबंध पर लगने वाली बसों का टैक्स आधा करने का प्रस्ताव बनाया है। अभी टैक्स में सिर्फ स्कूलों की अपनी बसें और स्कूल वैन को ही छूट मिली हुई है। यह प्रस्ताव परिवहन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिया है। विदित हो कि हाईकोर्ट ने स्कूली बच्चों को किफायती सुरक्षित परिवहन सेवा दिलाये जाने का आदेश परिवहन विभाग को दिया था।
परिवहन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूलों में अनुबंध पर लगने वाली बसों का टैक्स आधा करने का प्रस्ताव बनाया है। अभी तक टैक्स में छूट सिर्फ स्कूलों की अपनी बसों और वैन को ही मिली हुई है।

परिवहन दफ्तरों में पंजीकृत होने वाली स्कूल बस का टैक्स निजी बसों की अपेक्षा कम होता है। टैक्स व्यवस्था के हिसाब से स्कूल बस से तीन महीने के लिए 90 रुपये प्रति सीट के हिसाब से टैक्स वसूला जाता है, जबकि निजी बसों से 300 रुपये टैक्स लिया जाता है। निजी बस को अनुबंध पर स्कूली बच्चों के परिवहन के लिए चलाया जाता है तब भी उसे 300 रुपये प्रति सीट के हिसाब से ही टैक्स देना होता है। ऐसे में निजी ट्रांसपोर्टर स्कूल में बसें लगाने से बचते हैं। ट्रांसपोर्टर अनुबंधित स्कूल बसों के लिए भी स्कूल वैन की तर्ज पर टैक्स में छूट की मांग कर रहे हैं। दरअसल, स्कूल का टैक्स मैक्सी-कैब की अपेक्षा आधा है। मैक्सी कैब का तीन महीने का टैक्स 415 रुपये प्रति सीट है, जबकि स्कूल वैन का टैक्स 207.50 रुपये प्रति सीट है।

वैन भी अनुबंध या निजी करार पर स्कूलों के लिए संचालित होती हैं। अनुबंधित स्कूल बसों को टैक्स में छूट देने के लिए परिवहन आयुक्त ने एक टैक्स निर्धारण कमेटी का गठन किया था। जिसमें आरटीओ देहरादून दिनेश चंद्र पठोई कमेटी के अध्यक्ष हैं। इस कमेटी ने स्कूली बच्चों की सुविधाओं को देखते हुए अनुबंध पर संचालित स्कूल बसों का टैक्स आधा कर देने की सिफारिश की है। इसमें शर्त होगी कि बस का संचालन निजी बुकिंग पर नहीं किया जाएगा।

कमेटी ने रिपोर्ट में बताया है कि स्कूलों संग अनुबंध करने वाले वाहन स्वामी प्रदेशस्तर का कांट्रेक्ट कैरिज परमिट लेते हैं और स्कूल बंद हो तो ये बसें निजी मार्गो पर संचालित की जाती हैं। टैक्स की छूट उन्हीं निजी बसों को मिलेगी, जो सभी नियम पूरे करती हों, रंग पीला हो और बसें केवल स्कूल के लिए संचालित हों।